राजा बाबू फ़िल्म को डेविड धवन ने ये सोचकर बनाया था कि गोविंदा को फनी दिखाने के लिए कई किरदारों में दिखाया जाएगा। फ़िल्म में गोविंदा कभी वकील, तो कभी डॉक्टर, तो कभी इंस्पेक्टर, कभी नेता बनकर अपने शौक की पूर्ति करता है। डेविड धवन और गोविंदा अब ये देखकर हैरान हैं कि उनसे भी बड़ा किरदार रियल जिंदगी में आ गया है..इस किरदार का नाम है मोहम्मद सलीम उर्फ योगेंद्र यादव।

योगेंद्र यादव वो शख्स है जो रंग बदलने में केजरीवाल का भी गुरु है, मगर ये गिरगिट गुरु केजरीवाल से ज्यादा घातक इसलिए है क्योंकि ये सिविल सोसाइटी में रहकर नक्सल काम करता है और देश की आंतरिक जड़ों में मट्ठा डालने का काम करता है। योगेंद्र यादव JNU छात्र आंदोलन में छात्रों के लिए आंदोलन करते हुए मंच पर वाहवाही लूटते हैं, योगेंद्र यादव CAA-NRC प्रोटेस्ट में मंच पर पर भी पाए जाते हैं, यही योगेंद्र यादव आम आदमी पार्टी में पद की लालसा करते हुए अरविंद केजरीवाल से बेइज्जती करवाकर बाहर निकाले जाते हैं, यही योगेंद्र यादव 370 हटने का विरोध करते हैं और अब यही योगेंद्र यादव किसानों के मंच पर किसान बनकर पाए जा रहे हैं।

दरअसल योगेंद्र यादव उर्फ सलीम जैसे पर्चाछाप क्रांतिदूतों ने देश की जनता की अक्ल को कम आंकना शुरू कर दिया है इसलिए ये लोग वही कुर्ता, वही खादी जैकेट, वही कुटिल मुस्कान और वही मोदी विरोध लेकर हर आंदोलन के मंच पर अपने स्थान विशेष को टिकाने चले जाते हैं। वक्त की रोशनी में अब इन जैसे नक्सल राजा बाबुओं का पर्दाफ़ाश होना शुरू हो गया है इसलिए तमाम सोशल साइट्स पर जनता ये पूछ रही है कि योगेंद्र यादव उर्फ सलीम के कितने रूप हैं और वो खुद किसान न होते हुए किस हक से किसान आंदोलन के मंच से भारत बन्द की बात कर रहे हैं।

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