राम जन्मभूमि आंदोलन में कई चेहरों ने अपने कर्म परिश्रम से जीवन यज्ञ की आहुति दी। भव्य राम मंदिर निर्माण के मार्ग को प्रशस्त करने के लिए 80- 90 के दशक में कई चेहरे इस आंदोलन की प्रमुख आवाज बने। इन चेहरों में प्रमुख नाम है बीजेपी के कद्दावर नेता और यूपी के मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह का।

कल्याण सिंह बीजेपी के एकमात्र वह नेता रहे जिन्होंने राम मंदिर आंदोलन में अपनी कुर्सी गवाई, सत्ता का लालच नहीं किया तो दूसरी तरफ सजा भी काटी। वर्तमान में कल्याण सिंह राजस्थान के राज्यपाल हैं और वह एकमात्र नेता हैं जिन्होंने सीना ठोक कर कहा कि बाबरी मस्जिद का विध्वंस किए जाने का उन्हें रत्ती भर भी मलाल नहीं है। 


जब 1990 में मुलायम सिंह यादव ने कारसेवकों पर गोलियां चलवाई तो बीजेपी ने उनके मुकाबले के लिए कल्याण सिंह को आगे कर दिया। अटल बिहारी वाजपेई के बाद यह कल्याण सिंह ही थे जिनके भाषणों को सुनने के लिए जनता बेकरार रहती थी । कल्याण सिंह दमदार बोली में उग्र हिंदुत्व की भाषा बोलते थे और उनके भाषणों को सुनकर जनता जोश से भर जाती थी।


कल्याण सिंह के मुख्यमंत्री रहते हुए सरेआम बाबरी मस्जिद विध्वंस कर दी गई। कल्याण सिंह ने इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए 6 दिसंबर 1992 को ही मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया। कल्याण सिंह ने उस समय कहा था कि यह सरकार राम मंदिर के नाम पर बनी थी और उसका मकसद पूरा हुआ, ऐसे में सरकार राम मंदिर के नाम पर कुर्बान हुई। अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने और उसकी रक्षा न करने के लिए कल्याण सिंह को 1 दिन की सजा भी दी गई।

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