अमेरिका के एक अखबार ने दावा किया है कि यह भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में यह पहली बार हो रहा है कि पिछले 70 सालों के उन सरकारों के कार्यकाल में चापलूसी और चाटुकारिता करके हासिल किए गए पुरस्कार और पदक धीरे-धीरे वापस लौटाए जा रहे हैं यह कहीं ना कहीं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व का ही कमाल है अन्यथा मेहनत और लगन और शौर्य और ताकत के साथ हासिल किया गया कोई भी पदक अब तक किसी ने वापस नहीं लौट आया है क्यों क्योंकि जिस पुरस्कार को हासिल करने में कोई मेहनत नहीं लगी हो केवल चापलूसी लगी हो उस पुरस्कार को उस पदक को वापस लौट आने में क्या जोर आएगा लेकिन जो पदक मेहनत करके अपनी वीरता दिखाकर सरकारों से हासिल किया हो वह पदक वापस लौटाने लौटाने में पुरस्कार प्राप्तकर्ता को बहुत सोचना पड़ेगा क्योंकि वह पुरस्कार उन्हें उस देश की सेवा करने के लिए मिला है और वह अच्छी तरह से जानते हैं कि देश की सेवा उन्होंने अपने जमाने में की और आज देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी कर रहे हैं तो हमें इसी बात से इस बात का मंथन कर लेना चाहिए कि जो पुरस्कार अब लौट रहे हैं वह केवल और केवल चापलूसी से चाटुकारिता से ही हासिल किए गए हैं ना कि मेहनत करके मेहनत करके हासिल करने वाले जो पुरस्कार है वह नीचे दिए गए हैं आप एक-एक करके पढ़िए और देखिए कि किस प्रकार यह पुरस्कार हासिल हुए और अब यह पुरस्कार वापस क्यों नहीं लौट रहे हैं

परमवीर चक्र भारत का सर्वोच्च शौर्य सैन्य अलंकरण है जो दुश्मनों की उपस्थिति में उच्च कोटि की शूरवीरता एवं त्याग के लिए प्रदान किया जाता है। ज्यादातर स्थितियों में यह सम्मान मरणोपरांत दिया गया है। इस पुरस्कार की स्थापना 26 जनवरी 1950 को की गयी थी जब भारत गणराज्य घोषित हुआ था। भारतीय सेना के किसी भी अंग के अधिकारी या कर्मचारी इस पुरस्कार के पात्र होते हैं एवं इसे देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न के बाद सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार समझा जाता है। इससे पहले जब भारतीय सेना ब्रिटिश सेना के तहत कार्य करती थी तो सेना का सर्वोच्च सम्मान विक्टोरिया क्रास हुआ करता था। लेफ्टिनेंट या उससे कमतर पदों के सैन्य कर्मचारी को यह पुरस्कार मिलने पर उन्हें (या उनके आश्रितों को) नकद राशि या पेंशन देने का भी प्रावधान है। हालांकि पेंशन की न्यून राशि जो सैन्य विधवाओं को उनके पुनर्विवाह या मरने से पहले तक दी जाती है अभी तक विवादास्पद रही है। मार्च 1999 में यह राशि बढ़ाकर 1500 रुपये प्रतिमाह कर दी गयी थी। जबकि कई प्रांतीय सरकारों ने परमवीर चक्र से सम्मानित सैन्य अधिकारी के आश्रितों को इससे कहीं अधिक राशि की पेंशन मुहैय्या करवाती है। परमवीर चक्र हासिल करने वाले शूरवीरों में सूबेदार मेजर बन्ना सिंह (बाना सिंह) ही एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जो कारगिल युद्ध तक जीवित थे। सूबेदार मेजर बाना सिंह जम्मू कश्मीर लाइट इनफेन्ट्री की आठवीं रेजीमेंट में कार्यरत थे।

महावीर चक्र भारत का युद्ध के समय वीरता का पदक है। यह सम्मान सैनिकों और असैनिकों को असाधारण वीरता या प्रकट शूरता या बलिदान के लिए दिया जाता है। यह मरणोपरान्त भी दिया जा सकता है। वरीयता क्रम में यह परमवीर चक्र के बाद आता है।

पदक
गोलाकार और निर्धारित मानक की चाँदी से निर्मित होता है एवं इसके अग्रभाग पर पांच कोनों वाला उभरा हुआ तारा उकेरा गया है जिसके कोने गोलाकार किनारों को छूते हैं। इस पदक का व्यास 1.38 इंच का है इसके केंद्र भाग में राज्य का प्रतीक अपने ध्येय के साथ उकेरा गया है जो की उभरा हुआ है। तारा पॉलिश किया हुआ है और केन्द्र भाग स्वर्ण रंजित है। इसके पीछे के भाग पर हिन्दी और अंग्रेजी शब्दों के बीच में दो कमल के फूलों के साथ हिन्दी और अंग्रेजी दोनों में महावीर चक्र उकेरा गया है ।

फीता
इसके साथ संलग्न फीता आधा सफेद रंग और आधा नारंगी रंग का है।

बार
चक्र प्राप्तकर्ता के द्वारा पुनः ऐसी ही बहादुरी का कार्य होता है जो उसे चक्र प्राप्त करने हेतु पात्र बनाता है तो आगे ऐसा बहादुरी का कार्य “बार” द्वारा उस फीता / पट्टी में जोड़े जाने के लिए रिकार्ड किया जाएगा जिसके द्वारा चक्र संलग्न हो जाता है। प्रदत्त प्रत्येक “बार” के लिए, लघुचित्र में “चक्र” की प्रतिकृति, इसे अकेले पहनते समय फीते या पट्टी में सम्मिलित की जाएगी।

शौर्य चक्र भारत का शांति के समय वीरता का पदक है। यह सम्मान सैनिकों और असैनिकों को असाधारण वीरता या प्रकट शूरता या बलिदान के लिए दिया जाता है। यह मरणोपरान्त भी दिया जा सकता है। वरियता में यह कीर्ति चक्र के बाद आता है।

अशोक चक्र भारत का शांति के समय दिया जाने वाला सबसे ऊँचा वीरता पदक है। यह सम्मान सैनिकों और असैनिकों को असाधारण वीरता, शूरता या बलिदान के लिए दिया जाता है। यह मरणोपरान्त भी दिया जा सकता है। अशोक चक्र राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया जाता है।

कीर्ति चक्र भारत का शांति के समय वीरता का पदक है। यह सम्मान सैनिकों और असैनिकों को असाधारण वीरता या प्रकट शूरता या बलिदान के लिए दिया जाता है। यह मरणोपरान्त भी दिया जा सकता है। वरियता मे यह महावीर चक्र के बाद आता है

वीर चक्र भारत का युद्ध के समय वीरता का पदक है। यह सम्मान सैनिकों को असाधारण वीरता या बलिदान के लिए दिया जाता है। यह मरणोपरान्त भी दिया जा सकता है। वरियता में यह महावीर चक्र के बाद आता है।

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