महाराष्ट्र में हिंदुत्व के नाम पर शिवसेना में हुई बगावत के बाद आखिरकार उद्धव सरकार की सत्ता से विदाई हो ही गई. महाराष्ट्र देश का वो पहला राज्य है जहां पहली बार हिंदुत्व के नाम पर कोई सरकार गिरी है. इसके साथ ही बीजेपी ने ये साबित कर दिया कि उनके लिए हिंदुत्व से बढ़कर कुछ नहीं है ना ही सत्ता और ना ही पद. उद्धव ठाकरे जहां सत्ता की लालच में बाला साहेब ठाकरे के हिंदुत्व के सिद्धांत को भूल बैठे थे, वहीं शिंदे ने हिंदुत्व को चुन बीजेपी से हाथ मिला लिया. बाला साहेब ठाकरे के जो प्रण थे, जो उनकी सोच थी उसे उद्धव ठाकरे ने सत्ता के लोभ में कुचल दिया और शरद पवार और सोनिया गांधी के हाथों की कठपुतली बन गए. सत्ता के घमंड में शिवसेना के हिंदुत्व स्वरूप को ही जला डाला.
लेकिन इन सबके बीच अब महाराष्ट्र की नई सरकार के सामने चुनौती और बड़ी हो है क्योंकि जिस हिंदुत्व के मुद्दे को लेकर सरकार ने कार्यभार संभाला है उसकी रक्षा भी करनी पड़ेगी. ये इसलिए भी जरुरी है क्योंकि MVA की पिछली सरकार में जिस तरह से हिंदु धर्म और हिंदुत्व की बात करने वालों के साथ जो जुल्म हुए हैं जो नाइंसाफी हुई है उसे लेकर उन्हें इंसाफ दिलाने का समय आ गया है. चाहे वो पालघर में साधुओं को पीट-पीटकर मारने का मामला हो, सांसद नवनीत राणा और विधायक रवि राणा के हनुमान चालीसा पढ़ने पर जेल भेजना हो या फिर नुपुर शर्मा का समर्थन करने वालों को मौत के घाट उतारना हो या उन्हें धमकी देना हो.
इस सारे मुद्दों को लेकर नयी सरकार को सख्त कदम उठाने की जरुरत है. दरअसल हाल ही में नुपुर शर्मा के समर्थन में स्टेटस लगाने को लेकर अमरावती के केमिस्ट उमेश कोल्हे की कट्टरपंथियों द्वारा हत्या कर दी गयी . वहीं इसके बाद अब लगातार अमरावती में नुपुर शर्मा का समर्थन करने वालों को धमकियां मिल रही हैं। ऐसे में अब जबकि महाराष्ट्र में हिंदुत्व के मुद्दे पर एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फड़णवीस की सरकार को बहुमत मिला है तो नई सरकार को ऐसे धमकी देने वाले कट्टरपंथियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए.
क्योंकि अब न केवल सरकार के मुखिया के रूप में एकनाथ शिंदे की ताकत बढ़ गई है. बल्कि बाला साहेब ठाकरे की हिंदुत्व आधारित शिवसेना को पूजते हुए शिंदे राज्य के मुख्यमंत्री बन चुके हैं . ऐसे में महाराष्ट्र की वो जनता जिन्होंने पिछले ढ़ाई सालों में हिंदुत्व का अपमान होते देखा है, हिंदुत्व के मुद्दे पर आवाज उठाने के लिए जिनको सजा दी गई है अब उन्हें इंसाफ दिलाने का समय आ गया है.
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