पश्चिम बंगाल में सीएम की कुर्सी पर बैठीं ममता बनर्जी खुद को किसी तानाशाह से कम नहीं समझती जहां उनका फैसला ही अंतिम फैसला है. भले ही बंगाल हिंसा की आग में जलते रहे, बंगाल में बीजपी और हिंदु कार्यकर्ताओं की हत्या होते रहे लेकिन ममता बनर्जी की नजर में ‘सब भालो आछे’ !

जिस बंगाल में कानून व्यवस्था पूरी तरह से चौपट है, जिस बंगाल में TMC के गुंडे सड़कों पर उत्पात मचाते हैं . जहां सीएम ममता बनर्जी ने भी पूरी तरह से उन्हें खुली छूट दे रखी है. ऐसे में पूरी तरह से बंगाल की कानून व्यवस्था भगवान भरोसे है. इसी कड़ी में एक बार फिर ममता बनर्जी जान-बूझकर बंगाल को दोबारा से 1946 के काले दिनों की तरफ ले जाने की तैयारी कर रही है. जब डायरेक्ट एक्शन डे के कारण पूरे भारत में भीषण रक्तपात हुआ था

दरअसल हाल ही में बर्धमान में आयोजित एक सभा को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि 21 जुलाई की शहीद सभा से बीजेपी के खिलाफ जिहाद का ऐलान करेंगी। एक मुख्यमंत्री होकर ममता बनर्जी को बीजेपी के खिलाफ जिहाद छेड़ने जैसे शब्दों का इस्तेमाल करने में कोई परहेज नहीं है. जबकि, इस्लाम में जिहाद का क्या मतलब होता है ये सभी को मालूम है. जिहाद का सीधा सा अर्थ है कि इस्लाम अपनाने से इनकार करने वालों के खिलाफ जंग छेड़ना. तो क्या ममता बनर्जी बंगाल में बीजेपी के खिलाफ जिहाद चाहती हैं ? दरअसल तृणमूल कांग्रेस 21 जुलाई को शहीद दिवस का पालन करती हैं. लेकिन हैरत होती है कि मुख्यमंत्री के पद पर होते हुए ममता बनर्जी खुले मंच से सार्वजनिक तौर पर लोगों के नरसंहार के नारे लगा रही हैं. ये सब कर के आखिर बंगाल को कहां लेकर जा रही हैं ममता बनर्जी?

आपको याद होगा ममता बनर्जी ने जब जब इस तरह के नारे लगाए हैं ,तब तब बंगाल ने भयावह हिंसा देखी है. चाहे CAA विरोधी प्रदर्शन हो या फिर 2021 के चुनाव में ‘खेला होबे’ का नारा हो, इन नारों के बाद बंगाल में किस तरह की हिंसा और बर्बरता देखने को मिली थी ये किसी से छिपी नहीं है. ममता बनर्जी बीजेपी का विरोध करते-करते इतना आगे निकल पड़ी हैं कि वो बीजेपी पर हमला करने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं. लेकिन सवाल ये कि ममता बनर्जी ने जिस तरह से बीजेपी के विरोध की आड़ में ‘जिहाद घोषणा दिवस’ का नारा लगाया, उसके क्या मायने निकाले जाए ?

इधर बंगाल बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस ऐलान पर कड़ी आपत्ति जताते हुए राज्यपाल से मुलाकात की .जहां ममता बनर्जी की सरकार को बर्खास्त कर धारा 356 लगाने की मांग की है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक राज्यपाल ने इसका अनुमोदन करते हुए कहा, “यह बयान दुर्भाग्यपूर्ण है और चिंताजनक है, ये स्पष्ट तौर पर संविधान को चुनौती देने के समान है”। उन्होंने मुख्य सचिव को तलब किया और सीएम से बयान वापस लेने की मांग की है।

आखिर में सवाल ये कि ममता बनर्जी बंगाल को बर्बाद करने पर क्यों तुली हुई हैं ? उन्हें करना तो ये चाहिए कि जिस जनता ने उन्हें तीसरी बार सत्ता सौंपी है उनके हितों, राज्य के हितों को ध्यान में रखकर काम करना चाहिए. आखिर ममता बनर्जी किस तरह की सियासत कर रही हैं जिसमें वो बंगाल का बंटाधार करने पर तुली हुई हैं !

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