महाराष्ट्र में जारी सियासी उथल-पुथल आखिरकार खत्म हो गया. लेकिन इस बीच ना सिर्फ महाराष्ट्र की राजनीति बल्कि देश की राजनीति में भी एक नाम जो उभर कर सामने आया वो है एकनाथ शिंदे का. कल तक जो शिवसेना के बागी विधायक थे वे आज महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री हैं. लेकिन इस मुकाम पर पहुंचने वाले एकनाथ शिंदे का सियासी सफर जितना रोमांचक रहा है उनकी निजी जिंदगी उतनी ही संघर्षपूर्ण रही है . एक वक्त तो ऐसा आया जब उन्होंने राजनीति से दूरी बनाते हुए राजनीति छोड़ दी थी. लेकिन कौन जानता था कि किस्मत एकनाथ शिंदे को महाराष्ट्र के सीएम की कुर्सी तक पहुंचा देगी.
दरअसल एकनाथ शिंदे की पारिवारिक पृष्ठभूमि के पन्नों को पलटे तो पता चलता है कि वे कितने दर्द में हैं और एक समय ऐसा आया जब वे डिप्रेशन के शिकार हो गए. 58 साल के एकनाथ शिंदे का जन्म महाराष्ट्र के सतारा जिले में हुआ था. उनका बचपन काफ़ी गरीबी में बीता. 11वीं तक पढ़ाई करने के बाद उन्होंने ऑटो रिक्शा चलाना शुरु कर दिया था। ऑटो चलाने के दौरान ही वे RSS के संपर्क में आए। शाखा में शामिल होने के बाद वो शाखा प्रमुख भी बने और यहीं से उनका हिंदुत्व से गहरा जुड़ाव शुरू हुआ। शिवसेना के कद्दावर नेता आनंद दिघे के संपर्क में आने के बाद शिंदे 80 के दशक में शिवसेना में शामिल हो गए। उन्होंने 18 साल की उम्र में राजनीति की शुरुआत की। आगे चलकर वह ठाणे महानगरपालिका से पहली बार 1997 में वो पार्षद चुने गए। इसके बाद 2001 में निगम में विपक्ष के नेता भी बने। सियासत की सीढ़ी एक-एक कर चढ़ते हुए उन्होंने साल 2004 में पहली बार विधायक का चुनाव लड़ा और जीत गए। वो ठाणे के कोपरी-पाचपाखाडी विधानसभा से पिछले 18 सालों से लगातार विधायक हैं और उन्होंने लगातार चौथी बार यहां से जीत दर्ज की है। कहा जाता है कि भले ही एकनाथ शिंदे का जन्म सतारा में हुआ था लेकिन उनका लगाव ठाणे से बहुत गहरा है.
आपको जानकर हैरानी होगी कि आज जिन एकनाथ शिंदे ने ठाकरे का साम्राज्य ढाहने का काम किया कभी उन्होंने सियासत से दूरी बना ली थी. दरअसल 2 जून 2001 को सतारा में हुए एक नाव हादसे में उन्होंने अपने 11 साल के बेटे दीपेश और 7 साल की बेटी शुभदा को हमेशा के लिए खो दिया था. वहां बोटिंग करते हुए नाव पलट गई और उनकी आंखों के सामने उनके बेटा और बेटी बह गए। जिन्हें वे बचा नहीं सके. इस हादसे ने एकनाथ शिंदे को झकझोर कर रख दिया था. वो इस घटना से पूरी तरह टूट चुके थे और उन्होंने राजनीति छोड़ने का फैसला कर लिया था.
लेकिन एकनाथ शिंदे के लिए किस्मत ने तो कुछ और ही फैसला कर रखा था. तमाम अड़चनों और सियासी अस्थिरता के बीच आखिरकार एकनाश शिंदे एक ऑटो ड्राइवर की सीट से महाराष्ट्र के सीएम की कुर्सी तक पहुंचे .
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