दिल्ली सहित पूरे देश को नागरिकता संशोधन विधेयक की आड़ में दंगों , आगजनी और फसाद में झोंकने के पीछे , हाथरस मामले को तूल देकर योगी सरकार और उत्तर प्रदेश में अस्थिरता फैलाने का प्रयास , अभी चल रहे तथाकथित किसान आंदोलन में की जा रही साजिश और सिर्फ दो दिन पहले रोहिंग्याओं द्वारा देश के विभिन्न शहरों में आतंकी वारदात करने की सूचना आदि जैसी तमाम षड्यंत्रकारी अपराधों के पीछे हमेशा ही कट्टर इस्लामिक संगठन पीपल्स फ्रंट ऑफ़ इण्डिया का हाथ निकलता है।

इसी संगठन की विद्यार्थी इकाई कैम्पस फ्रंट ऑफ इण्डिया के महासचिव राउफ शरीफ को उस समय प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने थिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे से गिरफ्तार कर लिए जब वो विदेश भागने की तैयारी में था। हाल ही में जाँच एजेंसियों को राउफ के 15 बैंक खातों में 2.21 करोड़ रूपए की धनराशि रखे होने के साक्ष्य मिले थे। कोल्लम जिले अंचल का रहने वाला रउफ प्रतिबंधित कट्टर इस्लामिक संगठन सिमी से भी सम्बंधित रहा है।

समाचारों के मुताबिक़ दिल्ली दंगों और हाथरस मामले में रउफ द्वारा साजिश रचे जाने के पुख्ता सबूतों के आधार पर उसके विरूद्ध लुक आउट नोटिस जारी किया गया था जिससे बचने के लिए वह इधर उधर भागा फिर रहा था। इससे पहले ही प्रवर्तन निदेशालय द्वारा रउफ को हवाला के जरिये मिल रहे बेतहाशा पैसों की बाबत दिए गए नोटिस से भी बचता भाग रहा था।

हाथरस मामले में कप्पन नाम के एक व्यक्ति को नकली पत्रकार बना कर मामले की झूठी रिपोर्टिंग करके तूल देने , उत्तर प्रदेश के डीजीपी के विरूद्ध जातिवाद भड़काने जैसे भ्रामक खबरें फैलाने आदि मामलों में भी रऊफ की ही भूमिका निकल कर सामने आई थी। कोरोना काल के दौरान भी रऊफ के तीन बैंक खातों से करोड़ों रूपए के लेन देन की जानकारी जाँच एजेंसी को मिली जिसमे से लगभग 30 लाख तो एक होटल में रुकने का खर्च बताया दिखाया गया था जबकि कोरोना के कारण वो होटल पहले से ही बंद पड़ा था।

उत्तर प्रदेश पुलिस इस मामले में पहले ही आलम ,मसूद अहमद ,अतिकुर रहमान और सिद्दीक कप्पन को गिरफ्तार कर चुकी है।

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