मै इस लेख की शुरुआत कवि रामधारी सिंह दिनकर जी की पंक्ति से करुगा।
‘जब नाश मनुज पर छाता है।
पहले विवेक मर जाता है। ‘
ये जो पंक्ति है मुलभारत वंशी जितने भी धर्म है चाहे हिंदू ,शिख, बौद्ध, जैन, उनको सटीक बैठता है हम चीजों को समझना नहीं चाहते कैसा हमारा विवेक मर चुका हैं अगर हम फिर से चेतना नहीं जगायेगे तो नाश हमारा तय है। हम 8 state में minority बन चुके हैं, बदलाव ऐ 70 साल में ज्यादा तर हुआ है है , आप 1951 की जनगणना हर राज्यों की और 2011 की देख सकते हैं ।

हमें फिर महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी महाराज jन गरु गोविंद सिंग ,गौतम बुद्ध जी बचाने आयेगे ।
हमारे पूर्वजो का हम पर ऋण है खुद का बलिदान देकर हमारे भारतीय सभ्यता को मुस्लिमीकरण और ईसाईकरण से बचाया।
लेकिन हमें अंग्रेज से मुक्ति मिलने के बाद लगा अब हमें कोई गुलाम नहीं बना सकते हम आराम से आपने आपने धर्म को फोलो कर सकते हैं, अब संविधान हमारी रक्षा करेगा लेकिन ये दावे सरासर झूठ निकले हम आपनी आंखों से देख रहे है की मिजोरम के आदिवासी (bru-रियांग) और काश्मीर के हिंदू ,सिख ,दलित आपने ही देश में शरणार्थी बन के जी रहे हैं। इसका कारण मिझोराम में ईसाई और कश्मीर में मुस्लिम की Majority होने के कारण ।
क्यों की ईसाई और मुस्लिम मज़हब में मूर्ति पुजा करणे वाले एक तो शैतान के पुजने वाले या तो काफिर होते हैं।

काश्मीर के हिंदू के पास सब कुछ था लेकिन 1989-90 में घर छोड़कर भागना पढा 5-7 लाख हिंदू श्रीनगर, दिल्ली में 30 सालों से शरणार्थी बन कर आपने देश में जी रहे हैं । आप सोचेगे की सारे मुस्लिम बूरे नहीं होते लेकिन आपसे मेरा सवाल है अच्छे मुस्लिम क्यों नहीं बचाते ?
दुसरी बात है मिझोराम की जहाँ पर ईसाई आबादी है 87% ,वहा पर कुछ धर्म परिवर्तन से बचे हुए आदिवासी (रियांग -Bru) है जो आपने तरीके से जिवन जिना चाहते हैं फिर वहा के चर्च के पादरी जबरदस्ती धर्मपरिवर्तन करणे के पिछे क्यों पढे हैं ओर आदिवासी जनजाति को मारकर क्यों भगाते है। आप को लगेगा सब ईसाई बुरे नहीं है फिर वही सवाल दिमाग मे आता है फिर अच्छे ईसाई आदिवासी जनजाति को क्यों नहीं बचाते?
यहा दोनों जगा पर संविधान कानुन कुछ नहीं कर सका हिंदू, बौद्ध, सिख इससे कुछ सिखने वाले है कि नहीं हिंदू को हम दो हमारे 2 और जो ईसाई मिशिनिरी द्वारा धर्म परिवर्तन चालु है इससे 2100 तक हिंदू, बौद्ध, सिख कितने % बचने वाले हैं ?
हमें सोचना पढेगा।

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