तुम जितने घर को ढूंढोगे हर घर से पत्थर निकलेगा जी हां यही और सिर्फ यही है वह क्रूर सच जो दिल्ली दंगों की तफ्तीश में दिल्ली पुलिस अपने हर प्राथमिकी वह आरोपपत्र में सामने ला रही है | जैसे-जैसे पुलिस जांच आगे बढ़ती जा रही है लोगों के सामने 5  माह पूर्व हुए पिछले कुछ सालों के सबसे क्रूर और घृणित दंगों का घिनौना सच सामने आता दिख रहा है|

  दिल्ली पुलिस द्वारा अब तक दायर किए गए लगभग 700  से अधिक प्राथमिकी दर्ज़ किये जाने से ये  स्पष्ट दिख रहा है,  और जैसा कि खुद दिल्ली पुलिस ने अपनी जांच में पाया और बताया है कि,  नागरिकता संशोधन कानून के विरोध की आड़ में अब से ठीक 5 महीने पहले हुए दिल्ली के दंगे जिसमें उत्तर पूर्व दिल्ली का क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र रहा था वह एक अचानक से भड़का हुआ कोई मजहबी उन्माद भर नहीं था बल्कि  एक सुनियोजित साजिश के तहत इस पूरे दंगा कांड को अंजाम दिया गया था।

वह दंगा जिसने न  सिर्फ सैकड़ों मासूमों की जान ली बल्कि उस दंगे की आग में पूरे 3 दिन तक झुलस उठी  थी|  पूर्वी दिल्ली के सैकड़ों परिवारों का सब कुछ छीन लिया  गया उजाड़ दिया गया | इतना ही नहीं दंगे की आग इतनी भीषण थी कि इसमें पुलिस के कई जवान समेत कई अधिकारी भी चपेट में आकर न सिर्फ घायल हुए बल्कि अपनी जान भी गंवा बैठे |

 पुलिस ने अपनी सघन जांच और हजारों गवाहों के बयान के साथ-साथ गहन तफ्तीश के बाद यह पाया कि आम आदमी पार्टी के फिलहाल निलंबित चल रहे पार्षद ताहिर हुसैन जोकि उस क्षेत्र के लिए वैसा ही रूआब और प्रभाव रखते हैं जैसा हैदराबाद के क्षेत्र में ओवैसी बंधु रखते हैं अपने इसी प्रभाव का दुरुपयोग करते हुए हुसैन ने ना सिर्फ वहां के स्थानीय निवासियों जिनमें प्रमुख रूप से मुस्तफाबाद चांद बाग दयालपुर आदि का क्षेत्र शामिल था |

इन दंगों से कई दिन पहले ही ना सिर्फ बरगलाना शुरू कर दिया था बल्कि उन्हें इस बात के लिए भी उकसाया जा रहा था और साथ ही साथ लाठी-डंडों तेजाब पत्थर रोड गुलेल आदि जैसे हथियारों से भी लैस होने को कहा जा रहा था वह और उसकी सारी टीम भी इसी काम में शामिल थे |और इसके लिए उन्हें पैसे भी दिए जाने की बात सामने आ रही है (ठीक उसी तर्ज़ पर जैसे कश्मीर में पैसे दे कर सेना और सशत्र बलों पर पत्थर फिंकवाने का काम पाकिस्तानी आतंकी कर रहे थे ) 


बात सिर्फ इतने पर ही रुकती तो भी हिंसा और घृणा का वो नंगा नाच जो पूरे तीन दिनों तक खेला गया न खेला अजा सकता | पुलिस की तफ्तीश में ये बात भी निकल कर आई है कि , इन परिवारों के बड़े बूढ़ों से लेकर महिलाओं और बच्चों तक को इसके लिए न सिर्फ उकसाया गया बल्कि वे पूरे परिवार अपने घरों पर ताला जड़ के ,दिल्ली को दंगों की आग में झोंकने के लिए निकल पड़े | 

ये नफरत जो पिछले दिनों से तीन तलाक , अयोध्या राम मंदिर जम्म्मू कश्मीर की धारा 370  और नागरिकता संशोधन कानून से धीरे धीरे टपक टपक कर इनके दिमाग में भर रही थी / भरी जा रही थी  उसकी परिणति तेज़ाब की बोतलों की बारिश के रूप में न सिर्फ दिल्ली बल्कि पूरी मानवता को झुलसा देने को आतुर हो गयी | न ही आम व्यक्ति दिखा न ही वर्दी धारी पुलिस जो सामने पड़ा इंसान मकान दुकान सबको काट फूँक डाला गया | और इसमें नृशंता की सारी हदें पार कर दी इन हैवानों ने | यही वजह है कि अब पुलिस न सिर्फ एक व्यक्ति दो व्यक्ति बल्कि ऐसे पूरे परिवार पर कानून का शिकंजा कसने की तैयारी में है | 

इस बीच जैसा कि अपेक्षित था , दिल्ली के अल्प संख्यक आयोग ने बाकायादा एक रिपोर्ट जारी करके पुलिस पर ही पक्षपात का आरोप जड़ दिया है और दंगाइयों  के बदले पुलिस द्वारा इसे न रोके जाने को ही दंगे की बड़ी वजह बताते हुए , मुस्लिमों ,उनकी मस्जिदों , मदरसों आदि पर हुए जुल्म के लिए उन्हें शीघ्र मुआवजा देने की भी पुरजोर वकालत कर दी है | पुलिस अभी उस रिपोर्ट को पढ़ कर विधिक उपचार / विकल्पों की योजना में विमर्श कर रही है | 

सोच के देखिये कि , चाहे काश्मीर हो या करावल नगर , चाहे हैदराबाद हो या हुसैनाबाद , चारमीनार हो या चाँद बाग़ ,नफरत की आग हर तरफ लगाई जा रही है , आजादी मांगी जा रही है ताकि ये जिहादी मानसिकता का नंगा नाच पूरे देश में खेल कर गजवा ऐ हिन्द के ख़्वाब को साकार किया जा सके | याद करिये इसी नागरिकता सशोधन कानून , जिससे आज तक एक भी हिन्दुस्तानी मुस्लिम का बाल भी बांका नहीं हुआ अब तक।  उस के विरोध में कैसे असम से लेकर पश्चिम बंगाल और अंततः राजधानी दिल्ली को बार बार लूटा गया , जलाया गया | 

अब देखना ये है कि मानवता के विरूद्ध अभिशाप बने चुके ये दंगाई कब कानून द्वारा अपने अंजाम तक पहुँचेंगे और उस दिन उस वक्त जिनका सब कुछ ख़त्म हो गया  , लुट गया वे कब कह सकेंगे कि हाँ उन्हें न्याय मिल गया है | तब तक दिल्ली पुलिस अपनी जाँच में और क्या क्या ,कितना गहरा सच खोद कर सामने लाती है ये भी देखने वाली बात होगी | 

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