दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर जिस नृशंस तरीके से युवक की हाथ और पैर काटकर तड़पा तड़पा कर हत्या की गई है वह यह अपने आप में स्पष्ट कर देता है कि यह जो हत्यारे हैं इन्होंने ना गुरु ग्रंथ साहिब से सीख ली है और ना ही इनमें मानवीयता जिंदा है ।

दरअसल वह कटा हुआ हाथ और वह कटी हुई टांग बता रही है कि बीते कई महीनों से किसानों के नाम पर इस देश में गुंडागर्दी का एक माहौल तैयार किया जा रहा है जिसमें आतंकियों को महिमामंडित करने की कोशिश की जा रही है। आखिर इस देश में कब तक विक्टिम कार्ड खेलकर इस तरह के घृणित कामों को जायज ठहराया जाता रहेगा ? आखिर कब इस देश में गृह मंत्रालय नाम की संस्था जागेगी और देश में कानून एवं प्रशासन का राज कायम किया जाएगा?

सिंघु बॉर्डर से पहले देश का माहौल खराब करने के लिए दिल्ली में सीएए और एनआरसी के नाम पर दंगे किए गए और उन दंगो में कई मासूमों की मौत हुई। जामिया, सीलमपुर, लखनऊ, चांद बाग जैसी जगहों पर एनआरसी के नाम पर सुनियोजित तरीके से दंगे किए गए सड़कें जाम की गई और अब बीते 1 साल से दिल्ली के गाजीपुर सिंघु बॉर्डर पर जाम लगाकर जनता को बेवजह परेशान किया जा रहा है और समय-समय पर इस किसान आंदोलन से इस तरह की क्रूर घटनाएं सामने आती हैं।

बड़ा सवाल ये उठता है कि देश के पास इस समय अमित शाह जैसा सशक्त गृहमंत्री है जिसके अधीन देश की सारी पुलिस एजेंसी काम कर रही हैं तो इसके बावजूद भी आखिर दिल्ली के बॉर्डर को जाम कर बैठे इन चंद लोगों की क्रूरता से देश की आम जनता को छुटकारा नहीं मिल पा रहा है।

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