एक पापी कितना ही प्रबल क्यूं ना हो उसका अंत तय हैं। आधुनिक लाेकतांत्रिक भारत में पं० बंगाल में तृणमूल शासन काल में निर्दोष भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या करके ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस के पापों का घड़ा अब फूटन को हो आया है।
सर्वप्रथम मैं लोकतंत्र के अमर नायक उन सभी प्यारे दिवंगत भाजपा कार्यकर्ताओं को स्मरण एवं नमन करता हूं जिन्होंने लोकतंत्र के रक्षार्थ पं० बंगाल में अपने प्राणों का आहूति दी। लोकतंत्र के उन सच्चे सिपाहियों को आदरपूर्वक श्रद्धांजलि।
यह तस्वीर एक सामान्य तस्वीर नही है यह ममता बनर्जी जी की आगामी पं० बंगाल राज्यविधानसभा चुनाव में हार का उद्घोष है। वे दो विधानसभा सीटो से चुनाव लड़ेगीं क्योकि उन्हें भी पता है कि अब मोटा भाई के नेतृत्व में हिसाब करने की बेला आयी है। यह दीदी की बेचैनी ही है जो वे दो विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं। समय के कालखंड में असंख्य भाजपा कार्यकर्ताओं नें अरविदों की पावन भूमि पर लोकतंत्र के महान मूल्यों व गरिमा की रक्षा के लिए जो अपनी आहूति दी थी वह आहूति लोकतंत्र के देवता यानि की पश्चिम बंगाल की जनता देख रही है।
तृणमूल कांग्रेस के कुकृत्यों ने पं० बंगाल में लोकतंत्र का गला घोटा, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जेपी नड्डा जी के काफिले पर हिंसक हमला किया गया, तृणमूल कांग्रेस के शासन में रोहिंग्यों नें प्रसन्नता से नृत्य किए और आम बंगालियों का हक खाया, ममता बनर्जी की सरकार नें अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण के नाम पर पं० बंगाल में रोहिग्यों के प्रेम में जो गीत गाए उसकी कर्कश ध्वनि से पूरे देश का कलेजा छलनी हो गया और आम बंगाली खुद को ठगा सा महसूस करने लगा।
तृणमूल कांग्रेस की नीतियों नें पं० बंगाल के गृह व लघु उद्योगों को बर्बाद कर दिया, वहाँ का टेक्सटाइल उद्योग कराह रहा है और आज पं० बंगाल में सांप्रदायिकता अस्थिरता के मुहानें पर खड़ा है और वहाँ के लोगों की एकमात्र उम्मीद सिर्फ भारतीय जनता पार्टी एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं।
अपने हजारों समर्पित कार्यकर्ताओं की बलि देनें के बाद भी विश्व के सबसे बड़े राजनीतिक दल आदरणीय श्री जेपी नड्डा जी के नेतृत्व में पं० बंगाल से इस पाप राज्य को खत्म करनें को तैयार है। अब बारी पश्चिम बंगाल के प्रबुद्ध जनता की है कि क्या वे भाजपा के रूप में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में सुशासन एवं विकास को चुनते हैं या तृणमूल के विध्वंसक शासन को।

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