10 जुलाई को पूरे देश में ईद उल अजहा यानि बकरीद मनाई जानी है. लेकिन इससे पहले ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक फ्रंट के अध्यक्ष बदरुद्दीन अजमल ने मुसलमानों से एक अपील कर सबको चौंका दिया है. असम के धुबरी से सांसद बदरुद्दीन अजमल ने अपील की है कि मुसलमान ईद उल अजहा पर गाय की कुर्बानी न दें. उन्होंने कहा कि हिंदू गाय की पूजा करते हैं, इसलिए उनकी भावनाओं का वो सम्मान करें।

ये किसी से छिपी नहीं है कि बदरुद्दीन अजमल अपनी कट्टर मुस्लिम छवि के लिए जाने जाते हैं . लेकिन उनकी इस अपील को सुनने के बाद एक बात तो कहना पड़ेगा कि असम के CM हिमंता बिस्वा सरमा के राज में इसे ‘अच्छे दिन’ की शुरूआत कहा जा सकता है.

जाहिर सी बात है असम में कट्टर मुस्लिम एजेंडा चलाने के लिए मशहूर बदरुद्दीन अजमल के मुंह से ऐसी बातें सुनकर कोई भी चौंक जाएगा. दरअसल असम में लंबे समय से बदरुद्दीन अजमल मुस्लिमों की ही सियासत करते चले आ रहे हैं. तीन तलाक से लेकर CAA-NRC तक अजमल हर उस मुद्दे के खिलाफ खड़े दिखाई पड़ते हैं. लेकिन फिलहाल देश में जो माहौल बना हुआ है. उन सबके बीच सवाल ये कि बदरुद्दीन अजमल ने गाय की कुर्बानी न देने की अपील क्यों की? लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता इसके पीछे असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की अहम भूमिका हो सकती है.

दरअसल पिछले एक साल के अपने कार्यकाल में ही CM हिमंता ने अपनी एक अलग पहचान स्थापित की है। बांग्लादेशी घुसपैठियों द्वारा कब्जाई हुई जमीनों को छुड़ाने की कार्रवाई हो, ड्रग माफियाओं के खिलाफ अभियान चलाना हो, आतंकी स्लीपर सेल और उसके नेक्सस को तोड़ना हो या फिर मदरसों के जरिये फैल रहे कट्टरपंथ की रोकथाम करनी हो, हिमंता सरकार ने सभी मोर्चों पर जबरदस्त काम किया है . आपको याद होगा कुछ समय पहले ही हिमंता बिस्वा सरमा ने असम के सभी मदरसों को बंद कर उन्हें सामान्य स्कूलों में बदलने का फैसला लिया है. उस दौरान सरमा ने कहा था कि जब तक मदरसा शब्द रहेगा, तब तक बच्चे डॉक्टर और इंजीनियर बनने के बारे में कभी भी नहीं सोच पाएंगे. अगर कोई धर्मग्रंथ इतना जरूरी है, तो इसे घर में ही पढ़ाया जाना चाहिए.

हिमंता बिस्वा सरमा एक मुख्यमंत्री के तौर पर मुसलमानों को आगे बढ़ाने के लिए बड़े फैसले लेने से पीछे नहीं हटते हैं और शायद यही वजह है कि CM हिमंता को स्थानीय मुसलमानों का साथ भी मिल रहा है. जिसकी वजह से कहीं न कहीं बदरुद्दीन अजमल की राजनीति को झटका लगा है. तो वहीं उनके तेवर भी थोड़े नरम पड़े हैं. इसलिए काफी हद तक माना जा रहा है कि बदरुद्दीन अजमल की गोहत्या न करने की अपील पीछे CM हिमंता की कोई सियासी रणनीति हो सकती है !

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