स्वामी विवेकानंद पूर्व एवं पश्चिम संस्कृति को जोड़ने वाले सनातन सेतु!

उन्होंने पूर्व और पश्चिम संस्कृतियों को जोड़ने के लिए एक सेतु का काम किया| उनके अनुसार हम पश्चिम से काफी कुछ सीख सकते हैं लेकिन जरूरी है कि हमारी प्राचीन विरासत तथा आध्यात्मिक बहुलता पर उतना ही यकीन हो |उनका मानना था कि हमारे लोगों को अपने समृद्ध ज्ञान और परंपरा पर भी गर्व हो ना कि हम अपनी जड़ों को त्याग कर सिर्फ पाश्चात्य शैली का अंधानुकरण करें|

अति दुर्लभ ग्रंथ “राघवयादवीयम्”: सीधा पढ़ेंगे तो रामकथा, उल्टा पढ़ेंगे तो कृष्ण कथा

इस ग्रन्थ को ‘अनुलोम-विलोम काव्य’ भी कहा जाता है। इन श्लोकों को सीधे-सीधेपढ़ते जाएँ, तो रामकथा बनती है औरविपरीत (उल्टा) क्रम में पढ़ने पर कृष्णकथा। क्या यह अन्य किसी भाषा में संभव है? नहीं। यही तो संस्कृत की सुंदरता और परिपूर्णता है।

आखिर हमारे रामलला कितना और इंतज़ार करेंगे?

चार सौ वर्षों से अधिक लड़ाई लड़ी हैं रामलला ने और अब यह रुकावट। क्यों हर कोई मंदिर निर्माण में बाधा डालना चाहता है ? आखिर हमारे रामलला कितना और इंतज़ार करेंगे?

बचपन की वो बारिश…

घास पे पानी की बूंदों को एकटक देखा करते थे। गीली रेत पे घरौंदे भी तो बनाया करते थे।