बिहार में नई सरकार का गठन हो चुका है और सरकार के सामने कई चुनौतियां हैं, पिछले 15 वर्षों के शासनकाल में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने नीतीश कुमार की अगुवाई में बिहार में बहुत सारे काम किए हैं जिस समय मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश कुमार ने पद को ग्रहण किया था उस समय उनके सामने बिहार में विभिन्न प्रकार की चुनौतियां सामने थी, इनसे पहले 15 वर्षों तक बिहार में लालू राबरी के जंगल राज में बिहार में इंफ्रास्ट्रक्चर का कोई विकास नहीं हुआ था, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत समस्याएं चौपट हो चुकी थी, सड़कों का कोई कोई अता पता नहीं था, था तो केवल अपराधीकरण, भ्रष्टाचार और जंगलराज, इन परिस्थितियों में जब नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री का पद संभाला था तो उनके सामने सबसे बड़ी समस्या थी कि राजनीति से अपराधीकरण को समाप्त करना और बिहार को विकास के पथ पर ले जाना, शुरुआत में नीतीश सरकार ने इन सभी मुद्दों पर जोर शोर से ध्यान दिया और बिहार में अपराधीकरण पर बहुत काबू भी पाया गया, इसीलिए मीडिया में और लोगों में उन्हें सुशासन बाबू का नाम भी दिया गया साथ ही शिक्षा और स्वास्थ्य पर भी उन्होंने ध्यान दिया लेकिन जितना विकास होना चाहिए था वह नहीं हो पाया, बिहार की सबसे बड़ी समस्या पलायन, बाढ़, बेरोजगारी और चौपट शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था है, पिछले 15 वर्षों में नीतीश कुमार ने विकास के लिए बहुत कुछ किया है लेकिन फिर भी पलायन का जो दर्द आज भी आम बिहारी महसूस कर रहे हैं वह बदस्तूर जारी है, पढ़ने के लिए, स्वास्थ्य सेवाओं के लिए और रोजगार के लिए अभी भी बिहार के बहुत बड़ी संख्या में लोग बाहर की राह देखते हैं इससे बिहार वासियों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है, बिहार के नव निर्वाचित सरकार के समक्ष यह सभी समस्याएं मुंह बाए खड़ी हैं और उनके सामने काम करने के लिए सबसे बड़ा मुद्दा भी यही है कि किस तरह से बिहार में औद्योगिकरण हो बिहार में शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए बाहर नहीं जाना पड़े, रोजगार के लिए दिल्ली और पंजाब जैसे राज्यों में नहीं जाना पड़े, इन सभी क्षेत्रों में नीतीश सरकार को कड़ा कदम उठाना होगा नहीं तो आने वाला समय राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के लिए कठिनाइयों से भरा हो सकता है इसलिए मेरी शुभकामना नई सरकार के साथ है की बिहार की नीतीश सरकार शिक्षा स्वास्थ्य और रोजगार पर विशेष ध्यान देगी साथ ही पलायन और रोजगार के बारे में भी गंभीरता पूर्वक निदान निकालेगी तभी सुशासन का स्वरूप कायम हो पाएगा|
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