कुछ समय पहले तक छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे आदिवासी बहुल इलाके वाले राज्य ही ईसाई कट्टरपंथियों के निशाने पर थे लेकिन हाल के दिनों में दक्षिण भारत के कुछ राज्यों जैसे तमिलनाडु और कर्नाटक में धर्मांतरण गैंग पूरी तरह से अपना नेक्सस फैला कर सक्रिय हो गया है. हालात ये है कि अब इनके निशाने पर स्कूल और स्कूली बच्चे आ गये हैं. अभी ज्यादा समय नहीं गुजरा है जब तमिलनाडु की 17 साल की लावण्या की मौत ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था. जिसमें शिक्षा और धर्म का ऐसा चक्रव्यूह बनाया गया कि एक हिन्दू बच्ची को अपनी जान तक देनी पड़ी थी। लावण्या पर उसकी वार्डन की तरफ से यह दबाव डाला जा रहा था कि वह ईसाई धर्म अपना ले,लेकिन लावण्या ने धर्मपरिवर्तन के बदले मृत्यु को चुना.

इसी कड़ी में दक्षिण भारत में तमिलनाडु से पहले भी बाइबल पढ़ने के लिए दवाब डालने की घटनाएं सामने आई थी। लेकिन अब ऐसा ही मामला कर्नाटक के बंगलुरु से सामने आ रहा है. जहां के कई स्कूलों में बाइबल पढ़ना अनिवार्य किया जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण भारत के कई ईसाई कॉन्वेंट स्कूलों में हिन्दू छात्रों को बाइबिल सीखना अनिवार्य किया जा रहा है। जाहिर तौर पर मिशनरी स्कूलों में पढ़ाई करने के लिए दूसरे धर्मों के छात्रों को एडमिशन देते समय बाइबिल सीखना अनिवार्य करना अनैतिक और कानून के विरुद्ध है। छात्र स्कूल पढ़ाई करने के लिए जाते हैं ना कि बाइबिल का ज्ञान बढ़ाने के लिए. बाइबिल सिखाने के लिए जगह-जगह चर्च बने हुए हैं। स्कूल वो जगह है जहां बच्चों को शिक्षा दी जाती है ना कि वो कोई धार्मिक केंद्र हैं

आपको जानकर हैरानी होगी कुछ ऐसे ही कॉन्वेंट स्कूल हैं जो 21 जून को अंतराष्ट्रीय योग दिवस का धर्म के नाम पर विरोध करते हैं। दुनिया भर में योग दिवस ईसाई, मुसलमान, बौद्ध देशों में मनाया जाता है लेकिन भारत में योग दिवस को हिन्दू धर्म से जोड़कर देखा जाता है .

इधर इस खबर के सामने आने के बाद कई हिंदु संगठनों ने इनका विरोध किया है. उनका कहना है कि ईसाई स्कूलों में बाइबिल की अनिवार्यता के नाम पर ईसाई धर्मप्रचार करना पहले बंद करें. साथ ही इस तरह के मामले सामने आने के बाद कर्नाटक सरकार और शिक्षा विभाग को ऐसे मिशनरी स्कूलों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करनी चाहिए. वास्तव में किसी भी प्राइवेट स्कूल का नियम भारत के संविधान से बड़ा नहीं है. जो संविधान देश के हर नागरिक को खुद के धर्म का पालन करने की धार्मिक स्वतंत्रता देता है, उस पर जबरदस्ती बाइबिल सीखना अनिवार्य करना पूरी तरह से असंवैधानिक है।

 

 

 

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