किसान आंदोलन धीरे-धीरे अब सियासत का अड्डा बनता जा रहा है. इससे इनकार नहीं किया जा सकता. राकेश टिकैत अपनी ठेकेदारी चमकाने के लिए नई-नई पैंतरेबाजी को हथियार बना रहे हैं. पूरा देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है. देश की चिंताजनक हालत देखने के बावजूद किसान नेता राकेश टिकैत आंदोलन का बहाना बनाकर भीड़ जुटा रहे हैं.

अजब गजब मंसूबा पालने वाले टिकैत की सियासी चालबाजी धीरे-धीरे सबके सामने आ रही है. लेकिन वो बाज नहीं आ रहे हैं, कुछ दिनों में किसान आंदोलन को पूरे 5 महीने पूरे हो जाएंगे. कृषि कानूनों की वापसी को लेकर चल रहा आंदोलन जारी है और यूपी गेट पर किसान प्रदर्शनकारी सड़क घेरकर बैठे हैं। ऐसे में देश में फैले कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते हुए अब आम लोग ज्यादा डर गए हैं.

दरअसल राकेश टिकैट गुरुवार को हरियाणा के भिवानी जिले के प्रेमनगर में किसान महापंचायत का आयोजन कर रहे हैं.  राकेश टिकैत के साथ ही कई बड़े किसान शिरकत करेंगे. ये जानते हुए कि कोरोना के मामले हरियाणा में भी ज्यादा है फिर भी बिना इसकी परवाह किये वे ग्रामीणों से बढ़-चढ़कर भाग लेने की अपील कर रहे हैं. बता दें आपको इस समय पूरे प्रदेश में धारा-144 लागू है. ऐसे में प्रशासन के सामने यह महापंचायत बड़ी चुनौती बनी हुई है. प्रशासन की तरफ़ से महापंचायत न करने की साफ मनाही है लेकिन ग्रामीण और किसान महापंचायत करने पर अड़े हैं. दरअसल, जैसे-जैसे दिल्ली बॉर्डर पर धरना दे रहे किसान खिसकने लगे हैं, वैसे-वैसे राकेश टिकैत अब जगह-जगह जाकर महापंचायतें कर रहे हैं और किसानों को उकसा रहे हैं कि दिल्ली आओ. साजिश वाली इन महापंचायतों का सच और प्रपंच अब जनता समझ चुकी है.

दरअसल कोरोना नियम का पालन करते हुए प्रदर्शन करने का जो दावा टिकैत कहते आए हैं उसकी सच्चाई सबके सामने आ चुकी है , कुछ दिन पहले एक वीडियो में दिखा था कि टिकैत अच्छी खासी तादाद में लोगों को इकट्ठा करके इफ्तार पार्टी कर रहे थे। किसी ने उस समय चेहरे पर मास्क तक नहीं लगाया था और न ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो रहा था। ऐसे में साफ कहा जा सकता है टिकैट किसानों का बहाना बनाकर सिर्फ अपनी सियासी रोटी सेंक रहे हैं।

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