भारत राष्ट्र के खिलाफ विदेशी ताकतों के पैसे के दम पर किस तरह दंगे भड़काए जाते हैं इसका एक सनसनीखेज खुलासा हुआ है । विदेशों से भारत-विरोधी ताकतों से फंड लेकर CAA आंदोलन का हिस्सा हुए लोगों को बचाने का सनसनीखेज खुलासा LRO ने किया है। ट्विट्स की सीरीज में LRO ने खुलासा किया है कि भारत विरोधी कार्यकर्ता कॉलिन गालवैल्वेस के NGO ह्यूमन राइट्स लॉ नेटवर्क (HRLN) को सीएए दंगाइयों और कार्यकर्ताओं के बचाव के उद्देश्य से चार यूरोपीय चर्चों से 50 करोड़ रुपये मिले थे।
इस खुलासे से विदेशी चर्च और भारत में कॉलिन गोंसाल्वेस जैसे उनके कार्यकर्ताओं के बीच सांठगांठ का पर्दाफाश हुआ है जो पैसे के लिए अपनी बोली लगाते हैं। 2002 के गुजरात दंगों के बाद पीएम मोदी के खिलाफ नफरतभरी मुहिम चलाने के लिए प्रसिद्ध होने वाले कॉलिन गोंसाल्विस ही हैं जो पूरे भारत में सीएए विरोधी दंगों के पीछे का दिमाग थे।
अब LRO द्वारा इस रहस्योद्घाटन के साथ, यह साबित होता है कि चर्च और गैर सरकारी संगठन भारत में अशांति पैदा करने के लिए हाथ से हाथ मिलाकर चल रहे हैं। चर्च संगठनों ने HRLN को अपने “सामाजिक-कानूनी सूचना केंद्र ‘के संरक्षक के रूप में पैसा देकर वित्त पोषित किया था जिसका काम अदालतों में दंगाइयों का बचाव करना था।
HRLN ने अपनी वेबसाइट पर खुले तौर पर दावा किया है कि उसके वकीलों ने देश भर में CAA के दंगों में शामिल पत्थरबाजों, दंगाइयों, आगजनी करने वालों और आपराधिक तत्वों का बचाव किया है। HRNL ने ही दिल्ली दंगों में मुख्य दंगा आरोपी सफुरा जरगर का बचाव किया था। LRO ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को इस संबंध में लिखा है कि UAPA लगाकर कॉलिन गोंसाल्वेस और एचआरएलएन के अन्य निदेशकों पर गिरफ्तारी और मुकदमा चलाने की मांग की है।
LRO ने सीएए दंगाइयों का बचाव करने के लिए जिस तरह से चर्च नेक्सस का खुलासा किया है उससे बड़े तार जुड़ते दिख रहे हैं। खुलासे में बताया गया है कि HRNL ने सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीशों को डायरेक्टर के तौर पर नियुक्त किया हुआ था ताकि उच्च न्यायालयों में विभिन्न मुकदमों में अपने पक्ष में न्याय को प्रभावित किया जा सके।
LRO का कहना है कि इससे साबित होता है कि HRLN ने चर्च समूहों से करोड़ों स्वीकार करके देश में अशांति फैलाने, दंगा और अराजकता को उकसाने में राजद्रोह का एक गंभीर कार्य किया है। यह कॉलिन गोंसाल्वेस के खिलाफ UAPA लगाने के लिए एक उपयुक्त मामला है, जो सेवानिवृत्त न्यायाधीशों सहित इसके सभी निदेशकों पर भी लागू होता है। केंद्रीय गृह मंत्रालय को दिए गए अपने शिकायती पत्र में LRO ने कहा कि इन सभी को गिरफ्तार किया जाना चाहिए और मुकदमा चलाया जाना चाहिए।
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