धोनी : उड़ान सिर्फ पंखों से नहीं होती
मेरा मानना है कि आपने क्या पाया , ये इस बात से तो तय होता है ही की आप कहाँ पहुँचते हैं। साथ ही साथ ये भी मायने रखता है कि आपकी शुरुआत कहाँ से हुई और आपने क्या यात्रा पूरी की।
मेरा मानना है कि आपने क्या पाया , ये इस बात से तो तय होता है ही की आप कहाँ पहुँचते हैं। साथ ही साथ ये भी मायने रखता है कि आपकी शुरुआत कहाँ से हुई और आपने क्या यात्रा पूरी की।
एक रोज हम दोस्तों का प्रोग्राम बना वैष्णो देवी जाने का , पुरानी दिल्ली के बस स्टैंड से बस पकड़नी थी और बस में बैठने के पहले हम जिस होटल में खाना खा रहे थे , वहां रेडियो पर कमेंट्री चल रही थी। पाकिस्तान के खिलाफ धोनी ने बेहतरीन पारी खेलकर अपने करियर का आगाज़ किया। जब मैं यात्रा से लौटकर आया तो माता वैष्णो की कृपा से उसी दिन एक ऐसी कंपनी का जॉब ऑफर मिल गया जिसके बारे में मैंने सपने में भी नहीं सोचा था। मेरा करियर भी स्टार्ट हुआ।
धोनी कभी अपनी बैटिंग स्टाइल तो कभी अपनी अंग्रेजी , सब के लिए मॉक किये जाते। कमोबेश अपनी हालत भी वही रहती , जिसमें पढाई की , काम उस फील्ड में नहीं। अंग्रेजी में हाथ तंग वो अलग। ये तो नहीं कह सकता की अब तक क्या अचीव किया या यहाँ तक की जर्नी में हमेशा धोनी को अपना आदर्श माना , पर हाँ इतना ज़रूर था कि लगता था की इस तरह की चीज़ें जब धोनी झेल सकता है तो मैं क्यों नहीं ।
२००७ का टी-२० वर्ल्ड कप आया। जीते। बड़े चेहरों के बिना ( सिवाय युवराज ) भारत की टीम ये खिताब जीतकर आयी तो इसमें धोनी का बहुत बड़ा रोल था। फिर ऑस्ट्रेलिया के त्रिकोणीय श्रृंखला , जो जीत के आलावा तीन बड़े खिलाड़यों के टीम से निकाले जाने के लिए भी याद की जाती है। सीमित ओवर के क्रिकेट में भारत के लिए ये मोड़ था। एक मोड़ और आना बाकी था : सिडनी टेस्ट जो अम्पायर्स के गलत निर्णयों के लिए याद किया जाता है। भारत की टीम और भारत के प्रबंधन ने जो मनःस्थिति दिखाई , उसने भारत के लिए दुनिया में जगह बदल दी।
कुछ दिनों बाद धोनी को सरे प्रारूपों की कप्तानी दे दी गयी। धोनी ने भी निराश नहीं किया , हम दुनिया की नंबर १ टेस्ट टीम बने। इसके साथ साथ मेरे करियर में भी नयी ज़िम्मेदारी बढ़ीं, उसके आगे मेरे करियर में क्या हुआ वो बात ( अगर कुछ ऐसा बताने वाला हुआ तो ) फिर कभी।
फिर २०११ आया , विश्व कप। २८ साल का सूखा और सचिन का आखिरी जो मुंबई में ही समाप्त होना था। भारतीय टीम ने औसत शुरुआत की , पर धीरे धीरे पहुँच गए फाइनल में। फाइनल , फाइनल जैसा ही था। एक बड़े लक्ष्य को साधने में सचिन-सहवाग वापस जा चुके थे , थोड़ी देर में विराट भी चले गए। फिर धोनी खुद आये बैटिंग के लिए , जिनके लिए विश्व कप कुछ खास नहीं रहा था। पर कमाल की बैटिंग करते हुए मैच निकाल दिया। और इतना मशगूल की खुद के ५० रन होने का सेलिब्रेशन तक धोनी भूल गए। उसके बाद तो सब इतिहास है ही।
यहाँ से धोनी की मुश्किलें शुरू हुईं। युवराज कैंसर के चलते टीम से बाहर हुए . सचिन का सन्यास हो गया। बड़े खिलाडी एक एक करके या तो बाहर हो गए या आउट ऑफ़ फॉर्म , भारत की टीम टेस्ट की एक पारी में ३०० के आंकड़े छूने को तरसने लगी। किसी तरह कुछ सालों तक संभाला पर जब धोनी खुद भी ज्यादा कॉन्ट्रिब्यूट नहीं कर पाए तो टेस्ट से ही सन्यास ले लिया।
इस उतार चढाव के बावजूद , धोनी ने लगभग हर बड़े टूर्नामेंट को जीता। हर उस चीज़ को अचीव किया जो एक कप्तान चाहता है। वो भारत के महानतम कप्तानों में शुमार होंगे।
फिर आया २०१९ का वर्ल्ड कप , भारत बढ़िया खेलते हुए , सेमिफाइनल तक पहुंचा। पर वहां टीम लड़खड़ा गयी , धोनी ने बहुत कोशिश की पर एक रन आउट ने उनकी पारी भी ख़त्म कर दी। धोनी को इतना निराश कभी नहीं देखा। वो लगभग रोते हुए मैदान से बाहर आये , भारत हार गया। उसके बाद से ही धोनी के सन्यास की बातें हो रही थीं।
जो आज सच साबित हो गयीं। एक प्रोफेशनल के लिए ४० के आस पास की उम्र “नेक्स्ट लेवल” पर जाने की होती है पर खेल में ये नेक्स्ट लेवल सन्यास होता है।
मैदान के बाहर धोनी कभी ज्यादा विवादों में नहीं घिरे। अफवाहों को जवाब देने का उनका अपना तरीका था , एक बार तो पूरी टीम को प्रेस वार्ता में ले आये थे कि हम सब साथ हैं। आईपीएल पार्टी को लेकर भी उनका बयान बेबाक था की मैं किसी पार्टी में नहीं जाता तो इसके असर के बारे में क्या कह सकता हूँ। शादी भी उन्होंने बिना मीडिया में हल्ला काटे , चुपचाप की।
मेरा मानना है कि आपने क्या पाया , ये इस बात से तो तय होता है ही की आप कहाँ पहुँचते हैं। साथ ही साथ ये भी मायने रखता है कि आपकी शुरुआत कहाँ से हुई और आपने क्या यात्रा पूरी की। एक मुंबई में रहने वाले के लिए टीम में आना बड़ा चैलेन्ज है पर एक रांची में रहने वाले के लिए टीम जर्सी पहनना कुछ और ही है। भारत में ५-५ साल लगातार लोग अच्छा खेलते हैं तब जाकर उस गेंद को छूने का मौका मिल पाता है जिससे अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेला जाता है। मैदानों की हालत अब काफी अच्छी हुई है पर वो भी कुछ शहरों तक ही सीमित है। पर यहीं तो अंतर आता है एक आम आदमी और विजेता में। विजेता इन सबकी फ़िक्र किये बिना आगे बढ़ते हैं जो वो भी पा जाते हैं जो सोचा भी नहीं जा सकता।
एक छोटे से शहर ,रांची, से आया लड़का , महेंद्र सिंह धोनी। जिसने क्रिकेट तो खेला ही , साथ साथ इतना बड़ा स्टार बना की आज रांची दुनिया के क्रिकेट-मैप पर आ चुका है और लगभग हर प्रारूप के मैच वहां आयोजित हो रहे हैं। ये उन तमाम छोटे -बड़े हर शहर में रहने वाले लोगों के लिए नज़ीर है जो कुछ बड़ा करना चाहते हैं।
बाकी लिखने को तो बहुत कुछ लिखा जा सकता है , पहले ही कहा कि काफी पैरेलल चली है अपनी गाड़ी भी , भले ही पहुँच कहीं भी रही हो, इसलिए बातें बहुत घुमड़ रही हैं दिमाग में जो फिर कभी। अभी तो ये पल सेलिब्रेट करते हैं।
भारत के महानतम कप्तानों में से एक और दुनिया के सर्वोत्तम विकेट-कीपर बल्लेबाज़ों में शामिल महेंद्र सिंह धोनी पुत्र पान सिंह धोनी को , जीवन के नए अध्याय में कदम रखने की शुभकामनाएं।
You will be missed on the field , Dhoni !!!
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