चंगेज़ खान एक मंगोल आक्रमणकारी, इतिहास का सबसे क्रूर पात्र माना जाता रहा है, एक ऐसा योद्धा जो जीवन में कभी नहीं हारा, लगभग ८०० वर्ष पूर्व १२२१ में वो भारत के नज़दीक सिंधु नदी के किनारे तक अपने ५०००० सैनिको के साथ आया पर उसने भारत पर आक्रमण नहीं किया, वो ख्वारज़मीद के शाह जलालुद्दीन का पीछा करते भारत के दरवाज़े पर चला आया पर बिना शत्रु को मारे वो भारत का द्वार कही जाने वाली सिंधु नदी से लौट गया, वो चाहता तो मुग़लों की तरह अपार संपत्ति लूट सकता था, उसने ऐसा दूसरे देशों के साथ किया था, मुगलिया सल्तनत और अन्य मुस्लिम सल्तनतों को उसने घुटनों पर ला खड़ा किया था, चंगेज़ खान भारत में भी अपनी शक्ति का डंका बाजवा सकता था, क्यूंकि उस समय के मुग़ल शाशक इल्तुमिश में वो हिम्मत नहीं थी की वो चंगेज़ खान की सेना का मुकाबला कर पाता, पर चंगेज़ खान ने भारत पर आक्रमण नहीं किया, फिर भी इतिहासकार उसे इतिहास का सबसे क्रूर, ज़ालिम और खूंखार पात्र बताते चले आये हैं, क्या वो मुग़लों से अधिक क्रूर था? क्या वो अलेक्सेंडर से ज्यादा खूंखार था? या वो नेपोलियन, माओ, स्टालिन, से अधिक ज़ालिम था?
आइये एक छोटी सी तुलना करते हैं, मुग़ल या अन्य मुस्लिम आक्रमणकारी जिस देश पर हमला करते थे वहां की मूल संस्कृति को तहस नहस कर देते थे, हम आज भी इसका उदहारण देखते हैं, अफगानिस्तान की वो विशाल मूर्ति आपको याद होगी जिसे बम से उड़ाया गया था, तक्षशिला की उस आग के विषय में भी आपने पढ़ा ही होगा, पर मंगोलिया जहाँ से चंगेज़ खान आया वो एक बौद्ध देश है, आप में से बहुत कम लोगों को पता होगा की चंगेज़ खान कोई मुस्लिम नहीं था बल्कि उसने तुर्की सहित ईरान और ईराक सहित रूस के आस पास के सभी देशों से मुस्लिम शासकों को खदेड़ कर अपना साम्राज्य स्थापित किया था।
कौन था चंगेज़ खान?
येसुगई के पुत्र चंगेज़ खान का असली नाम तेमूजिन था और धर्म तेंगरिज़्म था जो एक प्राचीन मध्य एशियाई धर्म है जिसमें ओझा प्रथा, सर्वात्मवाद, टोटम प्रथा और पूर्वज पूजा के तत्व शामिल थे। यह तुर्क लोगों और मंगोलों की मूल धार्मिक प्रथा थी। इसके केन्द्रीय देवता आकाश के प्रभु तेन्ग्री (Tengri) थे और इसमें आकाश के लिए बहुत श्रद्धा रखी जाती थी। इस धर्म में आज भी हिंदुत्व की छवि स्पष्ट देखी जा सकती है, बाद में मंगोलिया में बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार हुआ, चंगेज़ खान के पौत्र कुबलाई खान ने बौद्ध धर्म अपनाया और उसी के बाद ही मंगोलिया बौद्ध धर्म के प्रभाव में आया।
चंगेज़ खान का मंगोलिया हमेशा से इतना शक्तिशाली नहीं था, आज ही की तरह विस्तारवादी चीनी आक्रमण को झेलता उनका देश हमेशा संकटों से घिरा रहता था, ज़िंग और शिया साम्राज्य से घिरा होने के कारण ये दोनों ही मंगोलिया पर लगातार हमले करते रहते थे, इसी क्रम में चंगेज़ खान के चाचा अम्बाघाइ को चीनियों ने पकड़कर बड़ी क्रूरता से मार सूली पर लटका दिया था, जब तेमूजिन १२ वर्ष का था उसके पिता और परिजनों की हत्या करके उसे मंगोलिया की सर्द पहाड़ियों में मरने के लिए छोड़ दिया गया, उसने अपनी आँखों के सामने अपने पिता का साम्राज्य मिट्टी में मिलते देखा, उसे एहसास हो गया था की बिना शक्ति, संपत्ति बेकार है। उसके बाद की कहानी उसके शक्ति का प्रमाण है, उसने न केवल पूरे मंगोल पर सत्ता स्थापित की बल्कि चीन को जीत कर ज़िंग और शिया साम्राज्य पर भी कब्ज़ा कर लिया, और अपने चाचा की हत्या और अपने देश का बदला लिया, मंगोलिया के लोगों ने उसे उपाधि दी जो बाद में उसका नया नाम बन गई “चंगेज़ खान” यानी सर्वशक्तिशाली विश्व सम्राट।
वामपंथी इतिहासकारों ने कभी इस विषय को हाथ नहीं लगाया क्यूंकि उसके दो प्रमुख कारण रहे, पहला तो ये की जिस चीन को वो अपना बाप मानते हैं उसकी क्रूरता और विस्तारवाद की पोल उन्हें स्वयं खोलनी पड़ती, उन्होंने हमेशा की तरह चीन को महान बनाये रखने के लिए ये सच छुपाया, दूसरा कारण ये की वो मुग़लों और इस्लामिक सुल्तानों की उनके खलीफा सहित हुई एतिहासिक धुनाई को स्वीकार नहीं कर पाए, वो चंगेज़ खान से कहीं अधिक क्रूर तैमूरलंग, बाबर, ग़ज़नवी, औरंगज़ेब इत्यादि को अपना बाप पहले ही मान चुके थे, उनका महिमांडन खंडित न हो जाए इसी बात की चिंता ने उन्हें सच लिखने ही नहीं दिया। खैर अब हमें सच लिखने और कहने का जरिया मिला है तो हम इनकी और इनके कई सारे बापों की पोल खोलते रहेंगे।
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