वैक्सीन को लेकर जिस तरह से लगातार देश में कुछ लोग सवालिया निशान खड़े कर रहे हैं उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि यह लोग वही है जो पोलियो के टीके का विरोध करते हैं, जो आधार कार्ड बनने का विरोध करते हैं, जो caa एनआरसी का विरोध करते हैं और अब यही लोग कोरोनावायरस वैक्सीन का विरोध कर रहे हैं। और इन जैसे तमाम गिरोहों को अखिलेश यादव जैसे तुष्टीकरण नेता सपोर्ट करते हैं, कांग्रेस सुर में सुर मिलाते हुए कहती है कि कोरोना वैक्सीन पर उन्हें भरोसा नहीं है। 


अब सऊदी अरब के प्रिंस ने घोषणा की है कि किसी मुसलमान को हज करना है तो वह वैक्सीन लगवा कर अपना कागज साथ लेकर आए। ऐसे में भारत के मुसलमानों के लिए अब कायनात का दिन मुकर्रर हो गया है अब वह करें तो करें क्या? एक तो स्वयं हिंदुस्तान में कोरोना की वैक्सीन कागज़ दिखाकर लगेगी, कागज तो इनके पास हैं नहीं। यानी वैक्सीन इनको लग नहीं पाएगी और हज जाना इनके लिए सुन्नत है फर्ज है। 


अब अजीब स्थिति यह है कि यदि हज जाना है तो उसके लिए वैक्सीन लगवानी पड़ेगी और वैक्सीन लगवाने के लिए कागज दिखाने पड़ेंगे यानी कि हम कागज नहीं दिखाएंगे का नारा हवा करना पड़ेगा। तो कहा जा सकता है कि इधर कुआं उधर खाई अब क्या करेंगे अब्दुल भाई?

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.