सीधी सपाट सी बात से शुरू करते हैं – जो व्यक्ति , भारतीय कर सेवा जैसी गूढ़ और विशेषज्ञता वाली सेवा से दस वर्षों से कम में भी निकल भागा निश्चित रूप से आगे भी सारी जिम्मेदारियों से बखूबी निकल भागेगा। और क्या खूब भागा देखिये। आज जितने भी टी वी चैनल हों , अखबार हों , मेट्रो , ऑटो ,और ये सिर्फ दिल्ली नहीं पूरे देश भर में साहब सी एम् जी भागे चले जा रहे हैं सरपट , विज्ञापनों को बनाने में -टेक ,री -टेक वैगेरह देने में और ,टैग लाईन बनाने में -मैं बोल रहा हूँ ,ये भी कोई कम रोचक काम नहीं है ,सो एक प्रचार गाड़ी ही दौड़ी बाकी सबने दम तोड़ दिया।

कभी प्रधानमंत्री बनने का दावा ठोंकने वाले सड़ केजरीवाल , दिल्ली को लन्दन बना रहे थे और लन्दन वालों को मोहल्ले में खोले क्लिनिक दिखा रहे थे , चाहे 22 लोगों का कुनबा बना कर मोदी फतह के सिपहलार बनने का मौक़ा हो या फिर पिछले छः महीने से दिल्ली को बंधक बना कर बैठे ठकैत जी की शागिर्दी करने की ,सड़ हर उस व्यक्ति के साथ खड़े बैठे लोटे मिलते पाए जाते हैं जो कानून के खिलाफ हो , दिल्ली के खिलाफ हो , पुलिस ,सरकार सबके खिलाफ हो और मोदी भाजपा के तो हो ही हो बस।

भविष्य में आने वाली पीढ़ियाँ जब इस महाविपदा काल में सबके कर्म और वचन का आकलन करेगी तो जरूरी पाएगी और कोसेगी उस आत्ममुग्ध धूर्त ,मक्कार राजनेता को जिसने धरने प्रदर्शन अराजकता को हथियार बनाकर सत्ता पर पहुंच तो बना ली मगर जब जब भी दिल्ली पर कोई भी संकट , कठिनाई आई इसने सारा ठीकरा केंद्र सरकार के जिम्मे डाल कर बेशर्मी की चादर ओढ़ ली .

जो व्यक्ति इस महामारी में भी करोड़ों रुपए अपने और अपनों के विज्ञापन पर खर्च कर रहा है वो भी तब जब उसके प्रदेश के लोग एक एक सांस को मोहताज हैं . और प्रचार भी किसका , अपने उस अदभुत चमत्कारिक प्रयोग का , जिसके दीवाने अमरीका और लंदन तक हो गए थे . दिल्ली सरकार के वो विश्व स्तरीय मुहल्ला क्लिनिक इस महामारी रोकने में उतने ही सहायक सिद्ध हुए जितने सरकार द्वारा लगवाए लाखों सीसीटीवी कैमरे दिल्ली के अपराध को रोकने में .

आज दिल्ली में जिस तरह से कोरोना के इलाज के नाम पर जो कुछ किया जा रहा है या किया जाने दिया जा रहा है वो पूरी इंसानियत के विरुद्ध अपराध है . नियति एक न एक दिन इन गुनाहों की सज़ा जरूर तय करेगी और ये जरूर होगा .

चीख। चीख कर खुद को दिल्ली के मालिक बताने वाले और वो संसद में मेज पर कूद कर कानूनों और संविधान के चीथड़े उड़ाने वाले शूरवीर संजय सिंह जैसे बड़े बड़े सूरमा ऐसे समय पर अपने बिलों में जा बैठते हैं ताकि कोई ये न कह दे – ले अब कर न .

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