देश में कोरोना का कहर जारी है, सरकारी बदइंतजामी और नागरिकों की गैर जिम्मेदारी के चलते कोरोना कई जिंदगियों को लील चुका है। इधर इस बीच फलस्तीन और इजरायल की लड़ाई शुरू हो चुकी है और अबतक मोदी को कोस रहे शांतिप्रिय समुदाय की भीड़ अब इजरायल को कोसने लगी है। हैरानी की बात यह है कि यह लोग सर जमीन ए हिंदुस्तान में रहते हैं मगर इन्हें दर्द फिलिस्तीन में रहने वाले मुसलमानों के लिए हो रहा है,यही brotherhood का concept इस्लाम को एक करता है unite करता है और इन्हें वैश्विक तौर पर ज्यादा कट्टर बनाता है।
देश की प्रतिष्ठित अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में कोरोना के चलते 55 से ऊपर मौतें हो चुकी हैं, विश्वविद्यालय परिसर में कोरोनावायरस से मरे लोगों को दफन करने के लिए कब्रिस्तान की जमीन कम पड़ रही है, विश्वविद्यालय परिसर से छात्र भाग रहे हैं मगर आलम कबाड़ी, सलीम नाई और अब्दुल पंचरवाला को फलस्तीन की पड़ी है। एक आदेश पर एकजुट होकर ये लोग फलस्तीन फलस्तीन कर रहे हैं और अबसे कुछ दिन पहले ये लोग मोदी को कोस रहे थे।
हैरानी की बात है कि देश भर में कोरोनावायरस का कहर जारी है रमजान के चलते लगातार सोशल डिस्टेंसिंग का पैमाना टूट रहा है ऐसे में देश के हालातों पर आवाज उठाने की बजाय यह लोग फलस्तीन के समर्थन में आवाजें उठा रहे हैं। इजराइल वह देश है जो लगातार भारत की कोरोनावायरस के मुश्किल समय में मदद कर रहा है इसके बावजूद इजराइल का विरोध कहां तक जायज है ? यह बात शांतिप्रिय समुदाय के लोगों को एक भारतीय होने के नाते सोचनी चाहिए।
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