झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार बनने के बाद से बेरोजगारी चरम सीमा पर पहुंच चुकी है और जितने भी नियुक्तियों की मांग की जाती है तो हेमंत सोरेन सरकार की कोई नियोजन नीति नहीं होने के कारण कोई भी नियुक्ति नहीं निकल पाती और यदा-कदा सरकार अगर एक-दो वैकेंसी निकालती भी है तो उसमें इतनी त्रुटियां होती हैं, उसमें इतनी सारी गलतियां होती है कि वह हाई कोर्ट के चक्कर लगाते लगाते अपना दम तोड़ देती है।
ऐसे समय में जब झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार ने युवाओं को 1932 की स्थानीय नीति देने का वादा किया था पर ना वह नीति दे पाई नाहीं युवाओं के लिए कोई ठोस नियोजन नीति बना सकी बल्कि उसने बाहरी राज्यों के युवाओं के लिए झारखंड में नौकरी के मार्ग प्रशस्त कर दी है, ऐसे में युवाओं ने उनके खिलाफ विद्रोह का एकबड़ा नारा निकाला जिसका नाम है 60-40 नाय चलतो।
” 60-40 नाय चलतो “यह कोई मामूली नारा नहीं बल्कि आज कोचिंग में पढ़ रहे हर युवा की, कॉलेज में पढ़ रहे हर विद्यार्थी की, नौकरी की तैयारी कर रहे हैं हर बेरोजगार की, हर एक युवा के जुबान पर है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की योजना स्थानीय नीति जो 60-40 पर आधारित है जहां 60% स्थानीय लोगों को और 40% बाहरी लोगों की नियुक्ति है ,उसका विरोध किया जा रहा है ।इस सिलसिले में आज के दिन राजधानी में युवाओं ने जमकर प्रदर्शन किया, जिसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया ,कई लोगों को गंभीर चोटें आई हैं और को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया है।

इस आंदोलन को झारखंड राज्य के सारे छात्र संगठनों ने ,सारे कोचिंग संस्थानों ने, एवं सारे युवाओं का जिनमें महिला पुरुष सभी शामिल हैं ,सभी का समर्थन प्राप्त है ,एक तरफ जहां युवाओं को 500000 नौकरी देने का वादा करके यह हेमंत सोरेन की सरकार झारखंड में सत्ता में आई थी पर सत्ता में आते ही यह पत्थर घोटाले, कोयला घोटाले, बालू लीज के घोटाले में फंस गई है ।हर एक कार्यकर्ता यहां ब्लैक मेलिंग कर रहा है ,नौकरी दिलाने के नाम पर भोले भाले युवकों से 10 से 1500000 रुपए की मांग की जाती है ।ऐसे समय में झारखंड में बिना किसी राजनीतिक दल के सपोर्ट के सिर्फ युवाओं ने जिस तरह का विरोध निकाला है वह अपने आप नहीं देखने योग्य है।

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