झारखंड में भले ही कोई बेटी जल जाए, भले ही कहीं महादलितों की बस्ती उजाड़ दी जाए लेकिन मजाल है जो सूबे के सीएम हेमंत सोरेन शांतिपूर्ण समुदाय वाली कौम पर अपनी जुबान खोल ले. दरअसल हाल के दिनों में जिस तरह से एक विशेष समुदाय की तरफ से झारखंड के अलग-अलग जिलों को हिंसा की आग में झोंकने की कोशिश की गई है वो किसी से छिपी नहीं है. इतना ही नहीं उन उपद्रवियों को सरकार की तरफ से सभी सुविधाएं भी मुहैया करायी जाती रही है , जिससे कहीं न कहीं इन कट्टरपंथियों को आगे और हिंसा करने की शह भी मिलती है.
दरअसल मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक झारखंड में हुए सांप्रदायिक दंगों को लेकर NCRB ने बड़ा खुलासा किया है. NCRB ने साल 2021 के अपराधों का आंकड़ा जारी किया है। इस आंकड़े के मुताबिक देश में सबसे ज्यादा दंगे झारखंड में हुए हैं। NCRB के आंकड़ों के मुताबिक साल 2021 में पूरे देश में कुल 378 सांप्रदायिक दंगे हुए थे इनमें से अकेले सिर्फ झारखंड में 100 दंगे हुए।
एनसीआरबी रिपोर्ट 2021 के अनुसार उत्तर प्रदेश करीब दंगामुक्त हो गया है. रिपोर्ट के मुताबिक सांप्रदायिक हिंसा के मामले में यूपी में सिर्फ एक ही मामला दर्ज किया गया है. सामान्य हिंसा की बात करें तो पूरे देश में 41 हजार 66 दंगे हुए हैं, जिनमें 1426 हिंसा सिर्फ झारखंड में दर्ज किए गए हैं. वही इस आंकड़े में दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र है।
सांप्रदायिक दंगों के मामले में झारखंड साल 2021 में एक नंबर पर जबकि महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर है। महाराष्ट्र में साल 2021 में 77 संप्रदायिक दंगे हुए थे। NCRB के आंकड़ों के अनुसार बिहार तीसरे पायदान पर है। राजस्थान और मध्य प्रदेश संयुक्त रूप से पांचवें नंबर पर है। इन राज्यों में 22-22 मामले सामने आए थे। NCRB के आंकड़ों के मुताबिक झारखंड में हुए दंगों के 80 फीसदी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। वहीं 20% दंगों के आरोपी अभी भी फरार चल रहे हैं। साल 2021 में झारखंड में दंगों के आरोप में 2000 से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी की गई थी। साल 2022 में झारखंड की राजधानी रांची सहित कई शहरों में सांप्रदायिक हिंसा के मामले सामने आए हैं। राजधानी रांची में तो 10 जून को मेन रोड में हुए सांप्रदायिक हिंसा में पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी थी। इसमें दो उपद्रवियों की मौत हो गई थी।
झारखंड में हर साल बच्चों से अपराध के आंकड़े भी बढ़ते जा रहे हैं। NCRB के आंकड़े के अनुसार वर्ष 2019 में जहां 1674 बच्चों से अपराध की खबर है, वहीं वर्ष 2020 में 1795 और वर्ष 2021 में 1867 में बच्चों से अपराध की घटनाएं घटी हैं। महिलाओं से अपराध का आंकड़ा भी आठ हजार से अधिक रहा। वर्ष 2019 में 8760 महिलाओं से अपराध हुआ। वर्ष वर्ष 2020 में 7630 व वर्ष 2021 में 8110 महिलाएं अपराधियों के निशाने पर रहीं।
जाहिर है NCRB के ये आंकड़े झारखंड सरकार को आईना दिखाने के लिए काफी है. झारखंड में जिस तरह से तुष्टीकरण की राजनीति करते हुए हेमंत सोरेन की सरकार राज्य को चला रही है उसमें सबसे ज्यादा सूबे के हिंदुओं को प्रताड़ना झेलना पड़ रहा है और ऐसे में विश्ष समुदाय वालों की चांदी हो गई है. ये NCRB के ये आंकड़े राज्य में हो रही उन्हीं आपराधिक वारदातों का उदाहरण है. ये सिर्फ वो आंकड़ें हैं जिसकी रिपोर्ट दर्ज की गई है कई ऐसे मामले होंगे जिनकी रिपोर्ट तक दर्ज नहीं हो पाई होगी.
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