मैंने दुनिया में गजवा ए अंतरिक्ष तक की ख्वाहिश और मंसूबे पालने वाले जैसे विशेष मनुष्यों को अक्सर ये कहते देखा सुना है कि , पूरे 56 मुल्क हैं हमारे , एक दो नहीं . और जो नहीं हैं तो फिर उन्हें इस दुनिया में रहने का बोलने का का कोई हक कहां है भला . इतने ज्यादा हैं , इतनी बड़ी ताकत है हमारी पूरी दुनिया हमसे हमारे उस वहशीपन से और हमारे जेहाद के डर से काँपती है . हमारे छुरे उस्तरे कट्टे की काबलियत के आगे हार मान जाती है .
मगर एक छोटा सा युवा तरुण , माथे पर चंदन का तिलक लगा कर जोर से जय श्री राम बोल देता है तो हमारी सल्तनत की चूलें तक हिल जाती हैं ,जलजला आ जाता है और फिर रात के अंधेरे में गीदड़ों और लकड़बग्घों के झुंड की तरह पूरा कबीला हाथ में लाठी , चाकू , छुरा , डंडा , ईंट लिए निकल पड़ता है किसी ऐसे ही हिन्दू की तलाश में जिसे उसके परिवार के जान का डर दिखाकर या उन्हें निशाने पर लेकर ,अकेले घेर कर जब सामने से कुछ नहीं कर पाकर पीठ में खंजर उतार कर भाग जाने के लिये . और फिर भाग खड़ा होता है पूरा कबीला ,कहीं और छुपने और यही सब करने के लिए .
हिम्मत थी तो जब वो अपने दल के साथ , अपने दोस्तों , साथियों के साथ होता था तब कर के दिखाते , हिम्मत थी तो जब वो दिन में तुम्हारे सामने अपने प्रभु श्री राम के मंदिर निर्माण के लिए अपनों के साथ जय श्री राम के जयघोष करता था तुम तब रोक सकते , दिन के उजाले में , मगर जब वो तुम कट्टरपंथियों के पूरे कबीले और इस नरभक्षी झुंड पर अकेला ही अपने जय श्री राम के जयघोष से इतना भारी पड़ गया कि उसके सीने पर अंकित जय श्री राम का सामना नहीं हो सकने के कारण ही तुमने उसके पीठ में वही विश्वासघात वाला खंज़र भोंक दिया जो तुम्हारी आदत और फितरत दोनों है .
गैरत ,ज़मीर नाम की किसी भी चीज़ से यकीनन ही कोई वास्ता नहीं है तुम्हारा , मगर अब कभी अपनी शक्ल आईने में देखकर खुद से पूछना कि , इंसान से यूं हैवान हो जाना कैसा लगता है ????और ये भी कि ,ये सब हिंदुओं को बार बार उकसा कर उसे रौद्र प्रतिक्रिया देने पर विवश करने जैसा षड्यंत्र क्यों नहीं माना जाए ?? सुबह से लेकर शाम तक पांच बार , अपने नियत जगह से लेकर , सड़क ,दफ्तर सब तक – तुम्हारा सब कुछ ज़ायज़ है पाक है . सिर्फ एक अपराध एक गुनाह है तो जय श्री राम बोलना . वो भी अपने ही देश में -क्यों है न ?
पहले भी कहा है और फिर कह रहा हूँ कि होंगे तुम्हारे 56 देश और 112 भी हो जाएं तो किसे फर्क पड़ता है मगर ये जो है न हमारा देश भारत ये है हमारा एक ही देश और यहां इस बात को अब और अधिक चलने नहीं दिया जा सकेगा अब . हम अपने बच्चों को न ही अपनी फौज बनाने के लिए , अपने गजवा ए हिन्द के मकसद के लिए इस दुनिया में लाते हैं और न ही ऐसे किसी सनक के लिए उन्हें यूँ जाता हुआ देखेंगे . अब ये नहीं होगा और न ही होना चाहिए
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