देश की राजधानी दिल्ली में जिस तरह से रिंकू शर्मा की हत्या हुई और अब उसके बाद पूरा का पूरा कांग्रेसी, वामपंथी, आपिया, समाजवादी, लुटियन मीडिया गैंग चुप है वो शर्मनाक है। जिस दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल है उनके मुंह से भी अबतक एक शब्द इस बाबत नहीं निकला है। तस्वीर के दूसरे पहलू के हिसाब से सोचिए कि यदि यहां पर कत्ल किए गए व्यक्ति का नाम रिंकू की जगह ‘रिहान’ होता और कत्ल करने वाले राकेश,अंकित , सोनू, राहुल, विक्की जैसे हिंदू नाम के होते तो क्या होता…

दिल्ली के मंगोल पुरी में रिंकू की जगह ‘रिहान’ का कत्ल हुआ होता तो सारी गिद्ध मीडिया इस खबर को प्राइम टाइम में जगह देती…कांग्रेस की Troll आर्मी साकेत गोखले, 2 BHK वाली रोहिणी सिंह, राणा अय्यूब, सायमा रहमान गला फाड़ फाड़ कर चिल्ला रहे होते कि देश में मुसलमान महफूज़ नहीं है। प्रियंका वाड्रा दादी जैसी नाक से ‘रिहान’ के कत्ल में छिपे हुए मोदी विरोध की हवा को सूंघते हुए सीधे मंगोल पूरी पहुंचती और तब ‘रिहान’ की मां से वाड्रा मैडम की गले मिलते हुए तस्वीर सामने आती, जिसे लिबरल मीडिया मुख्य पृष्ठ पर छापता। राहुल गांधी भी इसके बाद वहां पहुंचते और कांग्रेस के पांव तले खिसक चुकी जमीन पर बैठकर अपनी फोटो खिंचवाते। 


प्रियंका वाड्रा और राहुल गांधी के जाने के बाद मुख्यमंत्री केजरीवाल साहब भी अपने लोकल विधायक को साथ लेकर वहां पहुंचते और तब घर के बाहर संजय सिंह मोदी युग के खात्मे की बात करते हुए इसे लोकतंत्र की हत्या बताते। NDTV के शरद शर्मा के इशारे पर मनीष सिसोदिया केजरीवाल के ठीक पीछे खड़े हो जाते ताकि खबरों में उनकी हैंडसम तसवीर भी चस्पा हो सके। तबतक दिल्ली पुलिस मुख्यालय पर JNU, जामिया, AMU के हुड़दंगी बूढ़े इक्कट्ठा होने शुरू हो जाते और फिजां में गांजे की बदबू से लबरेज क्रांति का दिवस्वप्न पुलिस के डंडों से चकनाचूर होता।


सोचिए कि अगर रिंकू की जगह ‘रिहान’ का कत्ल हुआ होता ‘वाशिंगटन टाइम्स’ में मुख्य पृष्ठ पर न्यूज़ छपती, BBC इस मुद्दे पर सेमिनार करता और रिहान की कमर में घुसे हुए चाकू पर नज़्म प्रकाशित करता। फ्री की बिरयानी वाली दादी को सड़क पर बैनर लेकर फिर खड़ा कर दिया जाता..शाहीन बाग से बुर्का पहनकर निकली ख़दीजा अपने 12 बच्चों के साथ आज़ादी-आज़ादी के नारे लगाती और उसके छोटे बच्चे कुर्ता-टोपी पहनकर मोदी-अमित शाह को मारने की डींगे हांकते। योगेंद्र यादव गाजीपुर बॉर्डर छोड़कर यहां मीडिया से फुटेज खाने आ जाते और अपनी मीठी आवाज़ में सनातन धर्म के खिलाफ ज़हर उगलते। 


इन झड़ चुके चेहरों की चमक को बचाने में लुटियन मीडिया अपनी OB वैन लगाकर कूद जाता…रेप आरोपी कांग्रेस नेता के भाई रवीश पांडे अपनी स्क्रीन काली करते और इसे लोकतंत्र की सबसे बड़ी हत्या बताते। राजदीप सरदेसाई ट्वीट कर दावा करता कि उसने अपनी आँखों से देखा है कि ‘रिहान’ की कमर में किस तरह से छुरी घुसाई गई है और 25-30 लोगों ने मिलकर उसके परिवार को पीटा है। लल्लनटॉप वाला सौरभ इस हत्या पर पाश की कोई कविता सुनाता और फेसबुक पर सनातन धर्म के खिलाफ लामबन्दी करता। बरखा-अजित अंजुम-साक्षी जोशी-कापड़ी अपने Youtube पर वीडियो दिखाते कि 2014 के बाद से अबतक कितने मुसलमानों की हत्या की जा चुकी है।


….मगर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है…क्योंकि हत्या ‘रिहान’ की नहीं रिंकू शर्मा की हुई है.। अबतक कोई नेता एक शब्द नहीं बोला है क्योंकि हत्या ‘रिहान’ की नहीं रिंकू शर्मा की हुई है..अबतक देश के किसी भी गलियारे में कोई कैंडल मार्च नहीं निकला है क्योंकि हत्या ‘रिहान’ की नहीं रिंकू शर्मा की हुई है…और इस देश में अंकित, रिंकू, सचिन, अमित की हत्या मायने नहीं रखती है क्योंकि ये देश ज्यादा अज़ान सुनने से बहरा हो चुका है..।

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.