हाल ही में इस्लाम छोड़ने वाले केरल के 24 साल के अस्कर अली ने आरोप लगाते हुए कहा है, कि उनके रिश्तेदार अब उन्हें परेशान कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि 1 मई को कोल्लम में मुस्लिम भीड़ के हमले का शिकार होना पड़ा था। तब उनका किडनैप करने की भी कोशिश हुई, इसी कड़ी में अस्कर अली ने एक और सनसनीखेज खुलासा किया है।

टाइम्स नाउ से बात करते हुए अस्कर अली ने बताया कि “हमें दूसरे समुदाय वालों से नफरत करना सिखाया जाता था। हमें सेना में भी जाने से मना किया जाता था। हमें कहा जाता है कि सेना में अपने ही बिरादरी के लोगों को मारना पड़ेगा जो हमारे मजहब के खिलाफ है। जो भारत की सीमा में घुसपैठ करना चाहते हैं क्या वो मुस्लिम नहीं है ? सेना में हमें उन घुसपैठियों को मारने का दबाव बनाया जाएगा। हमारा मज़हब किसी और मुस्लिम को मारना नहीं सिखाता है।”

अस्कर अली ने आगे बताया कि “मुझे मिल रही ये शिक्षा असल में बेहद ही खतरनाक है। ये बातें उन्होंने सिर्फ हमें नहीं बताईं बल्कि यही सोच वो आगे भी फैला रहे हैं।”

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मलप्पुरम निवासी अस्कर अली ने मलप्पुरम की एक प्रमुख मजहबी एकेडमी से 12 वर्ष का हुदावी धार्मिक कार्यक्रम पूरा किया है। जिसने हाल ही में इस्लाम धर्म को त्याग दिया है.

बता दें आपको इस्लाम में मजहब छोड़ने पर मौत की सजा मिलती है। साल 2014 में आठ मुस्लिम बहुल देशों में एक मुस्लिम द्वारा इस्लाम के त्याग करने की सजा मृत्युदंड थी। जानकारी के मुताबिक, 13 देशों में इस्लाम छोड़ने पर कई तरह की सजा दी जाती थी। इसके तहत उन्हें जेल में डाल दिया जाता है या फिर उन पर जुर्माना लगाया जाता है। इतना ही नहीं, इसके तहत उनके बच्चों की भी कस्टडी भी छीन ली जाती है। कुछ साल पहले, अधिकांश शिया और सुन्नी कानूनविदों का मानना ​​था कि इस्लाम छोड़ना अपराध के साथ-साथ पाप भी है।

 

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