केंद्र सरकार कृषि कानून को लेकर लगातार कोशिशें कर रही है कि किसी भी तरह से किसान अपने आंदोलन को वापस ले लें और सरकार से मेज पर वार्ता करें। मगर किसान आंदोलन की आड़ में फिरका परस्ती का एजेंडा चलाने वाले चंद जयचंद इस आंदोलन को वापस नहीं होने दे रहे हैं योगेंद्र यादव , राकेश टिकैत, आम आदमी पार्टी, टुकड़े टुकड़े गैंग, खालिस्तानी समूह जैसे तमाम वह गैंग हैं जो किसी भी सूरत पर किसानों को वास्तविक स्थिति नहीं बता रहे हैं।

आखिर यह कौन लोग हैं जो 26 जनवरी की परेड में सेना को नहीं अपने ट्रैक्टर्स को लेकर के जिद पर अड़े हैं

ये वो लोग हैं जो ना सरकार को मानते हैं ना सुप्रीम कोर्ट को मानते हैं ना संविधान को मानते हैं और अभी यह लोग सेना की परेड के मुकाबले परेड करेंगे ।

इन लोगों ने न्याय के मंदिर सुप्रीम कोर्ट की आवाज को नहीं माना है आखिर यह लोग किसके इशारे पर देश के खिलाफ इतना घिनौना षड्यंत्र रच रहे हैं

आखिर अब देश की जनता बताए कि 26 जनवरी के दिन राष्ट्रपति द्वारा गलवान के शहीदों का सम्मान ज्यादा जरूरी है या सुप्रीम कोर्ट को ना मानने वाले अहंकारी की ट्रैक्टर रैली… पूरा देश एक आवाज में कह रहा है शहीदों का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान।

क्या खुद को तीनों सेनाओं के अध्यक्ष महामहिम राष्ट्रपति से योगेंद्र यादव और राकेश टिकैत बड़ा समझते हैं ? आखिर इन्हें 26 जनवरी को ही ट्रैक्टर रैली करने की क्या सूझी है?

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