दिल्ली उच्च न्यायालय ने जहां जूही चावला के 5 G टॉवर में पूरे 20 लाख का रीचार्ज़ कर दिया तो वहीँ दिल्ली की एक सत्र अदालत ने “भारतीय चिकित्सक संघ ” के वर्तमान अध्यक्ष को अपना ईसाई मिशनरी चलाने के छिपे एजेंडे को आईना दिखा दिया।

अधिवक्ता रोहित झा द्वारा दायर याचिका की सुनवाई करते हुए अदालत ने हालाँकि इस वाद पर प्रतिवादी जयालाल को कोई भी आदेश निर्देश तो नहीं दिया मगर अपने निर्णय और आदेश में उन्हें नसीहत देते हुए ये अच्छी तरह से समझा दिया कि जिस तरह से वे एलोपैथी चिकित्सा की आड़ में अपने मिशनरी वाले एजेंडे और धर्मांतरण का खेल खेल रहे हैं वो किसी भी लिहाज़ से मान्य और उचित नहीं कहा जा सकता।

अदालत ने जयलाल को संविधान में प्रदत्त व्यवस्थाओं और उनके प्रति चिकित्स्कों की निष्ठा की याद दिलाते हुए कहा कि उन्हें सिर्फ अपने पेशेगत व्यव्हार और आचरण के अनुकूल ही रहना चाहिए न कि भारतीय चिकित्सा संघ जैसे संगठन की आड़ में अपना एजेंडा चलाने लगें।

कम शब्दों में कहा जाए तो अदालत ने कहा कि

डाक्टर बाबू डाक्टर हो तो डाक्टरी पर ही ध्यान दो , सफ़ेद कोट के अंदर पादरी का चोला पहन कर और आला की जगह क्रॉस से सबको डबल क्रॉस करना छोड़ दो। जे बात !!!

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