अभी कुछ समय पूर्व तक पूरी दुनिया को चीख पुकार कर ये बताने समझाने वाले कि -हिन्दुस्तान किसी के बाप का (और इनके हिसाब से हिन्दुओं का तो कतई नहीं ) थोड़ी है वो तो सबका है। सबका मतलब -सराय , धर्मशाला , सबका माल है जिसका जब माना चाहे , घुस आओ , लूट लो , कब्जा कर लो , सब कुछ तोड़ फोड़ दो और छाती पर चढ़ बैठो -इतना ज्यादा है सबका।

ऐसी सोच के लिए मुनव्वर और इन जैसे तमाम वो मुग़ल जो मज़हबी नफरत और पूर्वाग्रह से बुरी तरह ग्रस्त हैं , ही अकेले दोषित नहीं हैं , असल में जिस तरह का रक्त रंजीत इतिहास और कहानी , मुगलों की रही है उसके हिसाबसे फिर इस सोच के अलावा और किसी बात की उम्मीद भी क्यों ही की जानी चाहिए।

तो नागरिकता संशोधन कानून के विरोध की आड़ में मोदी सरकार से लेकर भाजा और हिन्दुओं और पूरे देश के लिए विष वामन करने वाले मुनव्वर समय समय पर अपनी ज़हरीली सोच का परिचाय देते रहते थे। इतना ही नहीं चार्ली हेब्दो कार्टून प्रकरण पर उनका बयान ” हम तो जान से मार देंगे -हाँ मार देंगे ” ने भी बता दिया था कि , शायर का मुखौटा ओढ़े ये व्यक्ति मज़हबी कट्टरता से पूरी तरह बीमार मानसिकता वाला व्यक्ति है।

इत्तेफाक देखिये कि , हिन्दुस्तान किसी के बाप का थोड़ी है और मेरे हिस्से में माँ आई ” जैसी शेखियाँ बघारने वाले के अपने घर कुनबे में आज संपत्ति के लिए इनकी अपनी ही संताने , भाई भतीजे एक दूसरे के कत्ले आम पर आमादा हो गए हैं। मुगलिया परम्परा के अनुरूप साजिशें रची जा रही हैं। कट्टा से लेकर देसी बम तक का प्रयोग किया जा रहा है।

और फिर संपत्ति भी कौन सा -ताजमहल , लालकिला ,कुतुबमीनार की मिलकियत के लिए जंग लड़ी जा रही है। लेकिन जब दुनिया भर में 56 मुलुक होने की शेखी बघारने के बावजूद भी आज मुग़ल पूरी दुनिया में मार काट मचाए हुए हैं तो ऐसे में ये आग अब खुद के घर दाढ़ी में जा लगी और सब फूंकने पर आमादा है तो इसमें हैरानी कैसी और क्यों हो। लाहौळ विला कुव्वत

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