पश्चिम बंगाल से शुरू हुआ हिन्दुओं का नरसंहार पड़ोस के बांग्लादेश तक इस कदर पहुँच गया कि वहां भी शारदीय नवरात्रि के पवित्र दिनों में जब हिन्दू समाज अपनी देवी दुर्गा माँ की वार्षिक पूजा में लगा हुआ था तब पूरे बांग्लादेश में सुनियोजित तरीके से पहले पूरे दुर्गा पूजा , पंडाल और मूर्तियों को निशाना बनाया गया। उन्हें तोड़ कर , जला दिया गया या कहीं पानी में फेंक दिया गया। और इसके बाद भी जब हैवानियत कम नहीं हुई तो फिर वही सब किया गया जो असल में ये सब करने का असली मकसद होता है।

दंगे फसादों में हिन्दुओं को लूटा गया , मारा गया , घरों पर पत्थर फेंके गए और बस्तियों मंदिरों में आग लगा कर उन्हें जला दिया गया। बांग्लादेश में हिन्दुओं के हालात ठीक वही हैं आज जो आज से कुछ महीनों पहले पश्चिम बंगाल में चुनाव के उपरान्त हुई हिंसा -जिसे ममता बनर्जी के प्रशासन का मौन समर्थन भी हासिल था – में वहाँ के गरीब हिन्दुओं का हुआ था जिसके निशाँ आज तक मौजूद हैं।

यदि बात किसी दुसरे मज़हब की होती खासकर वो जो कार्टून भर बनाने पर भी पूरी दुनिया को बम से उड़ा कर ख़त्म करने की तबाही करने से भी गुरेज़ नहीं करते , ईश्वर न करे -और ऐसा होगा भी नहीं क्यूंकि अन्य कोई धर्म शायद ही किसी को बताता समझाता हो की दूसरे धर्म मज़हब अनुयायियों को क़त्ल ही कर डालो , -यदि ऐसा कुछ हो जाता तो आज 56 मुल्क से और दुनिया के जाने किस किस कोने से निकला बम बारूद पूरी दुनिया को ख़ाक करने पर आमादा होता मगर बात जब हिन्दुओं की हो ,उनके क़त्ल की हो , उनके बलात्कार की हो तो फिर ऐसा कहीं भी कुछ नहीं होता। शहर , देश नहीं जलाए जाते।

बांग्लादेश के बहुत ही चिंताजनक हालातों पर अपनी वेदना को बताते हुए आजम खान नामक यूज़र ने बहुत कुछ कह दिया। जहां एक तरफ बांग्लादेश में हिन्दुओं के साथ हुए क्रूरतम दंगों में हुई निर्ममता और उसमें महिलाओं लड़कियों से लेकर दस बरस की अबोध बच्चियों तक के साथ हुई हैवानियत को बयाँ किया है वहीँ ये भी भी किस तरह से स्थानीय सरकार इस पर लीपा पोती करने में जुटी हुई है

आजम तंज कस्ते हुए ये भी कहते हैं कि , पूरे देश में सुनियोजित तरीके से हिन्दुओं पर हमलों के बाद उनके मंदिरों को जलाने के बाद हमारे पास दुनिया को दिखाने के लिए एक तस्वीर ऐसी भी है जिसमें हम सब कुछ बचाते हुए दिखा सकते हैं और ये बहुत ही खुशी और फख्र की बात है। उनका इशारा ह्यूमन चेन बना कर मंदिर और लोगों को बचाने का आडम्बर रचने वालों की असलियत दिखाने की तरफ है।

आख़िरकार इस पूरी नारकीय स्थिति और अपनी कौम के कुछ कट्टर हैवानों की हैवानियत देख कर आख़िरकार कह ही उठते हैं कि आज वे इस विशेष मज़हब और इसके नाम पर की जा रही कट्टरता हैवानियत के कारण खुद को बहुत शर्मिन्दा हुआ पाते हैं।

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