जैसा कि आज नीतीश कुमार ने एनडीए की तरफ से आज सातवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, साथ में डेप्युटी सीएम के रूप में बीजेपी से विधायक बने तारकिशोर प्रसाद व रेणु देवी ने भी शपथ ली, इसके साथ ही मंत्रिमंडल की एक नई टीम ने भी शपथ ली….
इस बार एक नई टीम नए बिहार के विकास की आस में शपथ ले रही है और बिहार की जनता को पूरी उम्मीद भी है कि इस बार जिस प्रकार से राजनीतिक उठापटक के बीच बिहार में एनडीए सत्ता में आई है उस हिसाब से अब बिहार को विकास के एक नए रास्ते पर ले जाना एनडीए के लिए अनिवार्य सा हो गया है
छोड़नी होगी जातिगत राजनीति
नीतीश कुमार ने पिछले कई वर्षो से जातिगत व दलगत राजनीति पर ज्यादा ध्यान दिया और उसकी बदौलत ही सत्ता में अपनी प्रमुखता दर्ज करवाई और कहीं ना कहीं वोटबैंक बचाने में सक्षम हुए, पिछले दिनों दलितों के नाम पर राजनीति करते करते नीतीश कुमार इतना आगे निकल गए कि नौकरी के नाम पर एक दलित की हत्या पर सरकारी नौकरी देने का वादा कर बैठे, परिणाम ये हुआ कि 500 से ज्यादा ऐसी घटनाएं हो गई जिसमें परिवार के ही किसी सदस्य ने परिवार के ही किसी सदस्य की हत्या कर दी ताकि सरकारी नौकरी व मुआवजा मिल सके, इस फैसले और कानून से बिहार में जातिगत राजनीति में उफान सा आ गया, अब जातिगत आरक्षण की भी पैरवी छोड़कर समान नागरिक संहिता के तहत बिहार की पूरी जनता के लिए हित और विकास के लिए काम करना चाहिए ताकि छत्तीस कौम के लिए एक प्रेरक व्यक्तित्व बन सके, उसी प्रकार एससी एसटी एक्ट पर भी अपनी राय रखने में परहेज़ करना चाहिए क्योंकि नीतीश कुमार के एक स्टेटमेंट से पूरे भारत की पृष्टभूमि पर असर पड़ता है जिससे एनडीए को नुकसान होता है फायदा नहीं, सवर्ण और दलित के बीच भाव बनाकर राजनीति करने की नीति अब त्यागनी होगी तभी सब जनमत साथ आएगा
विकास को ही बनाना होगा मुख्य मूलमंत्र
अब जातिगत आधार पर राजनीति ना करके बिहार को शिक्षा, स्वास्थ्य व रोजगार पर कार्य करके विकास से लबरेज करना होगा ताकि बिहार का युवा आगे आकर राष्ट्र के निर्माण में अपनी भूमिका दर्ज करवा सके, राम मनोहर लोहिया की भूमी बिहार को अब नए पंख देने की जरूरत है ताकि नए बिहार के नए गांधी के रूप में नीतीश कुमार उभर कर आ सके
नीतीश का अंतिम कार्यकाल बन सकता है मिशाल
नीतीश कुमार ने प्रचार में खुलकर कहा कि ये उनका अंतिम प्रयास है अगर सत्ता में नहीं आते तो अब नीतीश कुमार का राजनीतिक वजूद खत्म हो जाता है पर एनडीए में होने की वजह से सत्ता में वापसी हुई है अब नीतीश कुमार को इस अंतिम कार्यकाल में कुछ ऐतिहासिक कार्य करके मुख्यमंत्री के रूप में मिशाल कायम करनी चाहिए ताकि आगामी राजनीतिक यात्रा में नीतीश कुमार को लोग विकास की दृष्टि से देखें और प्रेरणा लेवे, जिस प्रकार का संघर्ष नीतीश कुमार ने अपने जीवन में किया है और आज जो मुकाम हासिल किया है अब उस स्थिति में नीतीश कुमार को राष्ट्र के हित का सोचना चाहिए ना कि प्रदेश की जनता को ध्यान में रखते हुए कार्य करना चाहिए
शानदार फैसले बना सकते है बिहार का गांधी
नीतीश कुमार के कार्यकाल में वैसे तो घोटालों का आना इतना नहीं हुआ और कुछ ज्यादा महत्वपूर्ण कार्य भी नहीं हुए क्योंकि उसके पीछे कभी कभी जोड़ तोड़ की राजनीति भी आड़े आती रही जो अब नहीं है क्योंकि एनडीए का पूर्ण बहुमत है और सुशील मोदी जैसा नकारात्मक नेता भी नहीं है जो हर बात पर रोकटोक करे तो नीतीश कुमार के लिए नई टीम के साथ नई पारी खेलने का अच्छा मौका है जिसमें नए विश्व विद्यालय, अस्पताल, व्यावसायिक क्षेत्र, युवा स्किल पर कार्य करके अपना नाम रोशन कर सकते है अब सवाल ये है कि आने वाले पांच साल में नीतीश कुमार कितना खरा उतरते है ये देखना होगा क्योंकि ये पांच साल ना केवल विकासशील बिहार बनायेंगे बल्कि एनडीए का आगे का रास्ता भी बनाने में कारगर साबित होंगे
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