हो गया जी भारत बंद , कुल 11 टीवी चैनल पर खुद बाकी पर पूरी पल्टन ने ख़ुशी ख़ुशी बताया कि देखि म्हारी ताकत , म्हारा जोर -इबके भी हमने सड़क रेल पटरी घेर के पब्लिक के बीच सबकी बक्कल तार दी ,और ये हुआ सफल भारत बंद। अच्छा जी , ये था भारत बंद

नहीं -आपके हिसाब से भारत है क्या , सिर्फ वो सड़कें , रेल की पटरियाँ जहाँ आप और आपकी बेलगाम फ़ौज (किसान देश का बुरा नहीं सोच सकता कभी भी , देश मिटटी है और मिटटी किसान की माँ होती है , रहने दो ये आपके समझ में नहीं आएगा )कभी भी तम्बू गाड़ कर बीच सड़क पर हो हल्ला करके चाहते हैं कि पूरी संसद द्वारा पारित कानून आपके कहने भर से यूँ निरस्त हो जाए।

अच्छा जी , क्या , हैं क्या आप , आप खुद सोच कर देखिये , ये सिर्फ एक दिन का पीपली लाईव दिखाने के लिए , टीवी पर आकर कुछ भी बोलने के लिए , पत्रकार पूछे आम उसका जवाब इमली देने के लिए -बस रटा रटाया तीन काले क़ानून वापस ले और आपको लिख कर दे। भाई जी चौधरी साब , आप तो जो राजनीति की किसानी खेती कर रहे हो उससे भला किसको परहेज़ है पहले पुलिस ट्राई किया फिर किसान अब नेता ,ये सब तो चलता ही रहता है लेकिन किसानों को आगे कर दिया चौधरी साब।

हकीकत तो आप भी जानते हो कि आपको इन कानूनों में हुए संशोधन तो छोडो उसका मूल भी कुछ अता पता होगा ये पक्की बात है जो आपको भी पता है और हमें भी। लेकिन आपकी गलतफहमी दूर करने के लिए ये भी बताया जाना जरूरी है कि आज के इस तीव्र संचार युग में -ये मुमकिन ही नहीं की अन्याय के विरुद्ध कोई आवाज़ उठे और उसे हाथों हाथ साथ न मिले ,चौधरी जी ये तो जमाना ट्विटर ट्रेंड का है और आप तो देश की राजधानी (बदकिस्मती से राजधानी के सिपहसालार की कृपा विशेष होने के कारण भी ) की छाती पर और तो और लालकिला पर भी अपने ट्रैक्टर दौड़ा चुके हैं।

इतने सारे स्टंट के बावजूद भी मन नहीं भरता , क्या करें टीवी पर आकर मुखड़ा चमकाना आज किसे अच्छा नहीं लगता , अजी हाँ

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