सुशांत सिंह राजपूत की ह्त्या (जिसे अब शायद ही कभी साबित किया जा सकेगा )  फिर कोरोना काल में नारकोटिक्स के छापे के बाद चरसी  बॉलीवुड का असली चाल चरित्र खुल कर सामने आने के बाद से ही पूरे बॉलीवुड के ठेकदारों , सरमायेदारों और नकली नायकों को गुस्से और नफरत से अपनी जूतों की ठोकरों पर रख दिया।  तमाम बड़े बड़े अभिनेताओं ,बड़े निर्देशकों और बैनरों की तमाम पिक्चरों को बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुंह गिरा गिरा कर गर्दिश में मिला दिया।  अभी हाल ही में प्रकाशित एक फोटो  शूट में रणबीर सिंह ने पूरी तरह नग्न होकर खुद को प्रदर्शित किया जिसके लिए उनके विरूद्ध कई जगह पर अश्लीलता फैलाने के लिए प्राथमिकी दर्ज़ की गई है।  लेकिन क़ानून भी नंगे और नंगों को कितना ही नंगा करेगा ??

इसी मुम्बई की मुंबई पुलिस कमिश्नर और राज्य के गृह मंत्री तक , 1000 करोड़ से अधिक की अवैध वसूली और व्यापारियों के क़त्ल जैसे संगीन अपराधों में लिप्त होते होते आखिरकार महा अघाड़ी की सरकार महा चित्त हो गई।  लेकिन अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं है कि जिस प्रदेश में पुलिस कमिश्नर और गृह मंत्री मिलकर अपने ही क्षेत्र के व्यापारियों , दुकानदारों को डरा धमका कर अवैध वसूली कर रहे हों वहां भ्रष्ट राजनेताओं की छत्रछाया में व्यभाचारियों ने हिंदी सिनेमा जो कभी भारतीय समाज ,संस्कृति , इतिहास , सभ्यता को प्रदर्शित करता हुआ मनोरंजन और सामाजिक सन्देश देने का एक स्वस्थ साधन हुआ करता था को हिंसा , यौन उन्मुक्तता , भौंडापन , फूहड़पन , गाली गलौज , अश्लीलता , नशे , अपराध जैसे जहर से विषाक्त कर चरसी बॉलीवुड बना कर छोड़ दिया।

इधर ED जैसी संस्थाओं के तेज़ तर्रार अधिकारियों (यहां ये भी बताना जरूरी है कि अधीर रंजन चौधरी जैसे तमाम राजनैतिज्ञों की असल में इतनी औकात नहीं है कि वे इन दफ्तरों में चपरासी बनने की काबलियत भी रखते हों ) ने , दिल्ली ,मुंबई से लेकर कोलकाता तक सबके बही खाते उलटने शुरू कर दिए।  और देखिये बस एक ही दो फ़्लैट के ताले खुले और ट्रक भर भर के नोटों के अम्बार सामने निकले।  और ये उस बंगाल का पैसा है जो दशकों से लाख छटपटाने के बावजूद भी पिछड़े , अभावग्रस्त राज्यों की सूची से खुद को निकाल नहीं पा रहा है।  याद करिये वो बैठक जिसमें मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सभी मर्यादाओं को लांघते हुए और दुर्व्यवहार करते हुए प्रधानमंत्री के साथ निश्चित एक बैठक में अपनी माँग वाली फाइल पटक कर निकल भागी थीं।  जिस प्रदेश में ,शिक्षकों (जिनके ऊपर समाज के भविष्य के नागरिकों को सुशिक्षित करने जैसा  महत्वपूर्ण दायित्व होता है ) की भर्ती मात्र में 2000 करोड़ रूपए के घोटाले की गुंजाईश बनी रहती हो उस प्रदेश का आर्थिक समीकरण और संतुलन कभी ठीक नहीं हो सकता , कभी नहीं।

दिल्ली में -सबकुछ अलग करने के वादे ईरादे से राजनीति में दाखिल हुई आम आदमी पार्टी सरकार ने सबकुछ अनोखा किया और दिल्ली के तमाम राजयपालों से भी बराबर टहनी रही।  पुलिस की हनक और ताकत प्राप्ति की चाह ने सिविल डिफेन्स की सेना तैयार करने वाली आप सरकार द्वारा -सरकार ,उसके कार्यों और अपने प्रचार पर करोड़ों खर्च करने और लगातार करने के लिए चाहिए बजट के जुगाड़ में दिल्ली में हर गली में शराब की बेतहाशा दुकानों को खोल कर बेहिसाब शराब बेचने और पीने की समाज सुधारक क्रांतिकारी पॉलिसी लागू की।  न सिर्फ लागू की बल्कि उनको पूरा प्रोत्साहन भी दिया गया दो के साथ एक मुफ्त मुफ्त और भारी भरकम आय हुई।  तो क्या हुआ , जो सरकार की इस क्रांतिकारी योजना के कारण इससे पहले शिक्षा के लिए हाहाकारी योजना में बदले गए स्कूल , यानि शराब की दुकानों और स्कूल में 500 मीटर का भी फर्क नहीं है।  स्वास्थ्य मंत्री पहले ही जेल में हैं , अब शिक्षा व आबकारी मंत्री जी भी जाएंगे -ऐसा ही सी एम साब का मानना है और सबको इस पर यकीन करना चाहिए।

बहुत ही बेहतर समय है , क्यूंकि नंगे खुद अपनी करतूतों से बता रहे हैं कि उन सबको लोगों ने बेकार में ही कहीं नेता तो कहीं अभिनेता बना रखा है।  ऊपरी तड़क भड़क और धोखेबाजी की परत उधेड़ते ही ये जमीर तक नंगे हो उठते हैं।  जनता को चाहिए कि इन नंगों को पहले नंगा करते रहे और फिर साइड लाइन लगाता जाए।

 

जय श्री राम।  जय हिन्द।

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