भारत को बंद नहीं ये अपनी आँखें खोलने का समय है बंधु : फर्जियों के साथ खड़े/पड़े होने से मिला क्या ? बताना जरूर भैया जी

सरकार को किसानों की चिंता नहीं है ,भाजपा सरकार किसान विरोधी है , मोदी जी को किसानों की चिंता नहीं है , अरे चम्पुओं किसे बता सुना दिखा रहे हो ये सब ? उसे जिसने आज तक मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक रहते हुए कभी लेशमात्र भी अपने वचन कर्म से किसान मजदूर सेना सनातन तो दूर कभी इस देश की मिटटी का भी अपमान करने की नहीं सोची और न ही किसी को ऐसा करने देंगे।
कोरोना महामारी के शुरू होते ही हर गरीब किसान के घर के राशन से लेकर उसके खातों में पैसे पहुँचाने की घोषणा और अब तक उसका अमल किए जाने पर दृढ़ , खुद एक गरीब परिवार से देश ही नहीं दुनिया के दिलों पर राज करने वाले सरल और सशक्त हृदय व्यक्ति के विरूद्ध कभी किसान की आड़ में ,कभी मुगलों की आड़ में ,कभी सत्ता के विपक्ष के भेष में तो कभी सड़क पर अराजक बनी भीड़ के नकाब में लाख षड्यंत्र रच लो , कितनी ही चालें चल लो , मोदी सरकार की नीयत पर लेशमात्र भी ऊँगली नहीं उठा पाओगे।
और हाँ ये , जो रोज़ अलग अलग एजेंडे लिए अपने चेहरे चमकाने के लिए किसान किसान और किसानों के साथ खड़े होने का दम्भ भरते हुए , मीडिया और सोशल मीडिया पर अपनी टीआरपी बढ़ाने के लिए आप सबके साथ अपना “सेल्फी आंदोलन” चला रहे हैं न वैसे टोंटी छाप किसान नेता से पूछना जरूर कि उस टोंटी से कितने खेतों की सिंचाई की गई ?
झोला छाप लतेंद्र जादब जी से भी पूछना कि कभी एक बैंगन भी उगाया है खुद से ? तेजू भैया के पप्पा जी तो खेत क्या कहें भैंस का चारा तक चबा कर पूरे बिहार में गोबर ही गोबर कर डाले। नेशनल जीजू रैबिट ठठेरा जी ने तो अपनी किसानी के झंडे अपनी ही तशरीफ़ में गाड़ लिए हैं और लुंगी अंकिल ने गमले में ही किसानी करके करोड़ों कमा लिए , अब बचे रावण ,दुर्योधन सब वे सब तो बेपेंदी के लोटे की तरह लुढ़क कर राहुल गांधी की तरह गिरते पड़ते ऐसे सड़कों पर लोटने को विवश है।
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