लाल किले हिंसा के बाद तथाकथित किसान आंदोलन का चेहरा अब बेनकाब हो चुका है। कई किसान संगठन तिरंगे के अपमान के बाद इस आंदोलन को छोड़कर गाजीपुर और सिंधु बॉर्डर से वापस चले गए हैं। आंदोलन के नाम पर चल रही ब्लैक मेलिंग की नींव सरकती देख राकेश टिकैत कल आखिरकार रो पड़े  और अब वह महज सरकार से सम्मान के साथ विदाई चाह रहे हैं । राकेश टिकैत ने  कह दिया है कि मैं खुद गिरफ्तारी दे दूंगा, पुलिस को मुझे गिरफ्तार करने के लिए यहां आने की जरूरत नहीं है। 


जाहिर है खास बिरादरी जाट समुदाय को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई गांवों में यह कहकर बुलाया गया है कि पुलिस महेंद्र सिंह टिकैत के बेटे राकेश टिकैत के साथ ज्यादती करने वाली है ऐसे में किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत के नाम पर सभी को एक बार फिर गाजीपुर चलना चाहिए सारे गांव में फैले इस संदेश के बाद करीब 200- 300 लोग वहां इकट्ठे भी हुए मगर राकेश टिकैत को यह बात आसानी से समझ आ रही है कि अब उनका यह ब्लैक मेलिंग आंदोलन आखिरी सांसें गिन रहा है।


राकेश टिकैत लगातार यह बात कह रहे हैं कि वह गाजीपुर से हटेंगे तो सम्मान के साथ हटेंगे यानी कि वह अपरोक्ष रूप से पुलिस को कह रहे हैं कि बल प्रयोग ना किया जाए उनसे बातचीत की जाए, तब वे वहां से हट जाएंगे। ये किसान की पगड़ी की, उसके मान सम्मान की लड़ाई है। हम हटेंगे, तो सम्मान के साथ हटेंगे : राकेश टिकैत

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