बम,एसिड, गोलियां, हथियार महीनों पहले से इकठ्ठा किये जा रहे थे

साजिशकर्ताओं का मकसद एक चुनी हुई सरकार गिराकर देश भर अशांति फैलाना था

CAA विरोधी प्रदर्शनों की आड़ में देश को साम्प्रदायिक हिंसा की आग में झोंकने और चुनी हुई सरकार को गिराने की साजिश रची गई थी– दिल्ली पुलिस का कोर्ट में हलफनामा

दिल्ली पुलिस ने कहा है —

अभी तक जो जांच हुई है,उसके मुताबिक दंगा भड़काने की ये सोची समझी साजिश थी। समाजिक सद्भाव को बिगाड़ने के लिए संगठित होकर कोशिशों के अंजाम दिया गया।

ये हिंसा कोई क्षणिक आवेग या दो समुदायों के बीच धार्मिक आधार पर चल रहे तनाव का नतीजा नहीं थी, पर बल्कि इसे बकायदा प्लान किया गया था।* कुछ शरारती तत्वों ने अपने छिपे हुए एजेंडा को पूरा करने के लिये हिंसा के लिए फंडिंग की। उन्होंने समाज के एक हिस्से में पहले बेवजह का डर और पेनिक पैदा किया और उसके बाद उन्हें क़ानून हाथ में लेने और हिंसा के लिए उकसाया

ये कहना कि CAA के विरोध में प्रदर्शन शांतिपूर्ण थे, सच नहीं होगा। कई ऐसे वाकये है, जब ये प्रदर्शनकारी हिंसा में शामिल होते हुए और सार्वजनिक सम्पति को नुकसान पहुंचाते नज़र आये। शाहीन बाग मॉडल को दिल्ली में कई जगह दोहराने की कोशिश हुई, कई जगह पर सड़क या मेट्रो रूट जाम करने की कोशिश की गई

16, 17 और 20 दिसंबर को दयालपुर, सीलमपुर, जाफराबाद, नन्दनगरी और सीमापुरी इलाके में प्रदर्शनकरियो के हिंसा के मामले सामने आए

एसिड बम, तलवार, चाकू गुलेल , आयरन रॉड का इस्तेमाल हुआ जिनका इंतज़ाम पहले से ही किया गया था।

प्रदर्शन वाली जगह पर गुप्त ऑफिस बनाये गए थे ताकि लोगों को दूसरी जगह पर भेजने ,हिंसा में इस्तेमाल मेटीरियल को इकट्ठा करने और भड़काउ नारे / भाषण को गुप्त तऱीके से तैयार कर सके। प्रदर्शन करने वाली जगहो पर फंडिंग की गई और इसके लिए बाकायदा फेक वाउचर के इस्तेमाल हुआ। इस साजिश का मकसद किसी भी हद तक जाना था , जो संभव हो सके।भले ही वो बैरिकेडिंग पर पुलिस वालों के साथ मामूली टकराव से लेकर दो समुदायो के बीच दंगा कराना हो या सरकार के खिलाफ विद्रोही आंदोलन खड़ा करना

साजिश कई लेवल पर रची गई।एक तरफ CAA के विरोध के नाम पर प्रदर्शन को जारी रखा गया ताकि सरकार को गैरवाजिब मांगों के लिए राज़ी किया जा सके, दूसरा इन विरोध प्रदर्शन की आड़ में देश भर में दंगों और विद्रोह को भड़काना था ताकि संविधान सम्मत चुनी गई सरकार को गिराया जा सके।

इसके लिए उन्होंने बच्चों और महिलाओं को ढाल बनाकर इस्तेमाल किया
उन्हें मीडिया के सामने प्रदर्शन का चेहरा साबित करने की कोशिश की।

साजिश के मुताबिक शुरुआत दिल्ली के कुछ ख़ास इलाकों से करनी थी। बाद में उसकी सफलता के मुताबिक उसे देश के दूसरे हिस्सों में आजमाना था ताकि देश भर को पंगु बनाकर सरकार को अस्थिर किया जा सके

  • अभी तक हुई जांच के मुताबिक अलग अलग ग्रुप ने ये तय किया कि वो CAA क़ानून को मुस्लिम विरोधी बताकर देश के मुस्लिम समुदाय की भावना को भड़काएँगे। उसके बाद सही वक्त आने पर मुस्लिम समुदाय में उपजी इस सरकार विरोधी भावना का इस्तेमाल सरकार को अस्थिर करने के लिए किया जाएगा।
    इसके लिए दिल्ली में कई जगहो पर प्रदर्शन की योजना बनाई गई

शाहीन बाग के अलावा दिल्ली में 24 घन्टे 17 जगहों पर प्रदर्शन की योजना बनाई गई जहां शाहीन बाग और जामिया यूनिवर्सिटी के मॉडल के आधार पर चक्का जाम किया जा सके

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की यात्रा की घोषणा के बाद साजिशकर्त प्लान को अलग लेवल पर ले गए। इसके तहत अब उनका मकसद गैरमुस्लिम या मिश्रित जनसंख्या वाले इलाको में 24 घन्टे प्रदर्शन करना था ताकि तनाव को बढ़ाकर दंगों का माहौल तैयार किया जा सके। इसके लिए धारदार हथियार, पेट्रोल बम, एसिड बोतल, पत्थर, गुलेल , नुकीले ऑब्जेक्ट पहले ही इकट्टा कर लिए गए थे। योजना के तहत प्रदर्शनकारियों ने गैरमुस्लिम इलाकों में सड़क जाम करना शुरू कर दिया

रास्ता जाम करने वाली जगहो को ऐसे चुना गया ताकि ज़्यादा से ज़्यादा गैरमुस्लिम आबादी की आवाजाही बाधित हो


ट्रंप की यात्रा के समय ऐसा करने का मकसद ये था कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भारत सरकार की छवि मुस्लिम विरोधी साबित की जा सके, ये साबित किये जा सके कि सरकार मशीनरी का इस्तेमाल मुस्लिमों का दमन के लिए कर रही है।

इसके तहत योजना के मुताबिक 23 फरवरी को उत्तर पूर्वी दिल्ली के कुछ इलाकों में पत्थरबाजी और आगजनी शुरू हो गई ।रेस्टोरेंट, कार, TSR, बाइक को आग के हवाले कर दिया गया,सार्वजनिक सम्पत्तियों को नुकसान हुआ।

बाद में यही हिंसा बड़े पैमाने पर साम्प्रदायिक हिंसा में तब्दील हो गई जिसके चलते पुलिस और आईबी के अधिकारियों के समेत 53 निर्दोष लोगो की जान चली गई, सैकड़ो लोग घायल हुए और करोड़ो की सम्पति स्वाहा हो गई।

जांच में ये साबित होता है कि साजिशकर्ताओं का मकसद एक चुनी हुई सरकार गिराकर देश भर अशांति फैलाना था।
इसके लिए ऐसे भड़काउ भाषण दिए गए जिससे माहौल तैयार हो सके

दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को बताया है

जामिया कोआर्डिनेशन कमेटी लगातार नेताओं को बुला रही थी, जिन्होंने भड़काऊ भाषण दिए

13 दिसंबर को जेएनयू छात्र सरजील इमाम ने जामिया यूनिवर्सिटी के गेट नंबर 7 के पास भीड़ को संबोधित किया और देश के मुसलमानों से सड़कों पर आकर देश के शहरों को पंगु बनाने के लिए आव्हान किया।

16 दिसंबर को हर्ष मंदर ने जामिया यूनिवर्सिटी में दिए गए भाषण में लोगों को सुप्रीम कोर्ट पर यकीन न रखने के लिए कहा और और अपने इंसाफ की लड़ाई सड़कों पर आकर लड़ने के लिए भड़काया।

22 दिसंबर को भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर ने जामिया यूनिवर्सिटी पहुँचकर लोगों को तब तक सड़क पर बने रहने को कहा जब तक सरकार CAA और NRC को लेकर अपना फैसला नहीं बदलती।

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