लानत है ऐसे बंद पर… और धिक्कार है ऐसे बंद करने वालों पर…!!
आज 8 दिसंबर 2020 तथाकथित किसान हितेषी राजनीतिक दलों तथा कुछ अवसरवादी भेड़ियों द्वारा भारत बंद का आह्वान किया गया और पिछले 3 दिन से लगातार इन राजनीतिक गिद्धों द्वारा भारत बंद के नाम पर अलग अलग प्रकार से अलग अलग तरीके से दबाव बनाने का प्रयास केंद्र सरकार पर किया गया पिछले 1 हफ्ते से केंद्र सरकार लगातार किसान हितेषी संगठनों तथा प्रतिनिधियों से बार-बार किसान बिल के अंदर किसी भी प्रकार की समस्या और उसके समाधान के लिए पूछती रही लेकिन कल 7 दिसंबर 2020 की मध्य रात्रि तक किसी भी संगठन में किसी भी प्रकार की सहमति नहीं बनाई और भारत बंद के नाम का आह्वान जारी रखा इन्हीं सबके बीच वास्तविक किसान हितेषी संगठन आगे आए और करीबन करीबन किसान संगठन 20 दलों के साथ केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को आकर किसान बिल के समर्थन में अपना समर्थन दिया और किसान के नाम पर भारत बंद का विरोध किया
आज जब भारत बंद की शुरुआत हुई तो स्वभाविक था कि जहां इंडिया की सरकार नहीं थी उन सब जगह पर विपक्षी दलों द्वारा अपनी राजनीतिक व्यवस्था को बरकरार रखने के लिए किसानों के नाम का दुरुपयोग करते हुए देश के संसाधनों और गरीब की जेब पर मार करने का प्रयास किया गया जैसा कि लेख के शीर्षक में लिखा है कि लानत है ऐसे बंद पर धिक्कार है ऐसे बंद करने वालों पर यह बात इसलिए लिखी गई है कि आज अगर किसी की रोजी रोटी उजड़ी आज अगर किसी के पेट पर लात मारी तो केवल और केवल गरीब के पेट पर लात मारी बड़े बड़े उद्योग बड़े बड़े शोरूम बड़ी बड़ी दुकान है भारत बंद के एवज में हो सकता है कहीं खुली होगी कहीं नहीं खुली होगी लेकिन रोज का कमा कर अपने परिवार का भरण पोषण करने वाला गरीब जब अपनी छोटी मोटी रेडी सब्जी की दुकान दूध की दुकान या अपना गुजरान चलाने के लिए जो कार्य करता है उस पर इन तथाकथित किसान हितेषी हो द्वारा जो नुकसान किया गया उनकी रेडियो को तोड़ दिया गया उनके दलों को तोड़ दिया गया उनके खेल और रेडियो पर जो दैनिक जीवन का सामान भी करा था उस सामान को तहस-नहस करते हुए सड़कों पर बहा दिया गया यह कैसा भारत बंद है भाई क्या वाकई में ऐसे लोग किसान के हितेषी हो सकते हैं कतई नहीं हो सकते ऐसे व्यक्ति केवल और केवल अपनी राजनीतिक कुंठा को शांत करने के लिए केंद्र सरकार के विरोध में देश और देश के नागरिकों के नुकसान का कार्य कर सकते हैं ऐसे लोग देश के संसाधनों को नुकसान पहुंचा सकते हैं ऐसे लोग देश के आम नागरिक के पेट पर लात मार सकते हैं बिना हृदय कैसे लोग केवल और केवल राजनीतिक चाटुकारिता में अपना उल्लू सीधा करने के लिए देश में अशांति फैलाने का प्रयास कर सकते हैं
लानत है ऐसे भारत बंद पर जिस बंदे ने हिंदुस्तान के अंदर करोड़ों की संख्या में रोज का कमा कर खाने वाले मजदूर वर्ग छोटे दुकानदारों के पेट पर लात मारी है और लानत है ऐसे बंद करने वाले लोगों पर जिन्होंने गरीब को उस गरीब की जरूरत को पूरा ना करने के लिए उसकी रोजी रोटी पर लात मारने का प्रयास किया केवल दो चित्र इस पूरे लेख में में प्रस्तुत कर रहा हूं उस लेख में दिए गए दो चित्रों के माध्यम से आप आज के भारत बंद की मार्मिकता को महसूस कर पाएंगे कि किस प्रकार से एक आम से आम व्यक्ति के पेट पर लात मारने का प्रयास इन अवसरवादी राजनीतिक गिद्धों ने किया है हिंदुस्तान को तहस-नहस करने के लिए किस प्रकार से इन लोगों ने पार्टी के झंडों का इस्तेमाल करते हुए भारत के हिंदुस्तान के संसाधनों को तोड़ने का प्रयास किया गया हिंदुस्तान के संसाधनों को नुकसान पहुंचाने से पहले इन्होंने एक बार भी नहीं सोचा कि संसाधन इनके बाप की कमाई से खड़े नहीं किए गए यह संसाधन हिंदुस्तान के एक-एक कर दाता के से बनाए गए हैं और इन संसाधनों को इन्होंने भारत बंद के नाम पर तोड़ दिया लानत है ऐसे भारत बंद करने वाले लोगों पर धिक्कार है ऐसे भारत बंद करने वाले लोगों पर….
कई राजनीतिक दल और उनके मुखिया घरों में बैठ गए और कहने लगे कि हमें नजरबंद कर दिया गया है अरे शर्म नहीं आती आप लोगों को किसानों के नाम की राजनीति करते हो किसानों के नाम का इस्तेमाल करके आंतकवादी गतिविधियां फैलाने का प्रयास करते हो किसानों के आंदोलन के नाम पर खाली स्थान का नारा लेकर चलने वाले सेकंड क्लास आतंकवादियों को सपोर्ट करते हो शर्म नहीं आती राजनीतिक दल चलाने का नाम लेकर देश विरोधी गतिविधियों में फंडिंग करते हो देश विरोधी अंतर क्यों की सेवा करते हो अनंत क्यों के खाने पीने रहने की व्यवस्था करते हो उनके लिए हर सुविधा मुहैया करवाते हो जो देश तोड़ने का प्रयास कर रही है शर्म आती है मुझे ऐसे राजनीतिक दलों के मुखिया ऊपर जो खुद को नजरअंदाज का नाम लेकर देश में अशांति फैलाने का प्रयास कर रहे हैं देश की लॉ एंड ऑर्डर कानून व्यवस्था के साथ खिलवाड़ करने का प्रयास कर रहे हैं हिंदुस्तान की जनता जीत गई है हिंदुस्तान की जनता सच को स्वीकार करने लग गई है उन्हें पता चल गया है कि यह झंडा धारी अवसरवादी नेता केवल और केवल देश को बर्बाद कर सकते हैं देश की उन्नति की राह पर ले जाने का इनका किसी भी प्रकार का मानस नहीं है मैं ऐसे तमाम लोगों से कह देना चाहता हूं कि कम से कम किसान का नाम लेकर आंदोलन करने वाले यह छूट भैया नेता एक बार मातृभाषा में छपा किसान बिल को शांति से पढ़ तो ले ।
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