आज 6 दिसंबर है , हमारे सामाजिक और सांस्कृतिक पराक्रम ,साहस और शौर्य का वो दिवस जिसने देश में सनातन और राष्ट्रीयता का वो बीज बो दिया जो आज एक भरी पूरी भगवा फसल और नस्ल बन कर अब पूरी दुनिया में भारत का शंखनाद कर रहा है।
इस क्षण , इस पल और इस साहस तक पहुँचने में कैसा और कितना समय लगा , इस यात्रा के एक एक पल और एक एक राम रथी के अनुभव पर पूरा ग्रन्थ लिखा जा सकता है , किन्तु एक मिनट के लिए कल्पना करें कि यदि उस दिन राम भक्तों ने अपने रक्त और प्राण न्यौछावर करके उस विवादित ढाँचे को धूल धूसरित नहीं किया होता तो :-
क्या अदालत के आदेश के बावजूद आज के षडयंत्र भरे माहौल में उस विवादित ढाँचे को गिराना संभव होता ??
कांग्रेसी वामी लिब्ऱांडु जैसे गिरोहबंद लोग क्या इतनी आसानी से इस फैसले को अमल हो जाने देते ??
सिर्फ आशकाओं और अनुमानों पर पिछले दिनों दिल्ली सहित देश के कोने कोने में मुगलों द्वारा किए गए दंगे फसाद को देख कर भी क्या ये लगता है कि खुद को बाबर की औलादें मानने वाले जेहादी मुग़ल उस बाबरी ढाँचे को गिराने देते ??
आज जबकि अदालत के आदेश के अनुपालन में अयोध्या में श्री राम मंदिर का निर्माण शु रु होने के बावजूद भी , वे अब तक बाबरी की वापसी के मंसूबे पाले बैठे हैं और तरह तरह के षड्यन्त्र रच रहे हैं तो उस ढाँचे की मौजूदगी में तो नंगा नाच कर रहे होते
बात बेबात सड़कों ,शहरों को बंधक बना कर आराजकता फैलाने वाले ये लोग उस विवादित ढाँचे को टूटने से बचाने के लिए देश और पूरी दुनिया में मुगलाम खतरे में है का नारा लगा कर ओला टू ऊबर करते फिर रहे होते ??
इसलिए शत शत नमन उन सनातनी वीरों , माँ भारती के सपूतों और राम भक्तों को जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर उसी समय ये साहस दिखा कर आज हमें आपको और इस देश को एक और बड़े संकट के दौर में पड़ने से बचा लिया।
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