नवरात्र के पूरे 9 दिनों तक हम हिंदु मां दुर्गा की आराधना में लीन रहते हैं. 9 दिनों तक पूरे देश में गरबा और डांडिया की धूम रहती है. लेकिन कुछ लोगों के लिए ये मात्र एक मनोरंजन है. जो की बिल्कुल गलत है. गरबा कोई साधारण नृत्य न होकर देवी की पूजा के लिए किया जाने वाला नृत्य है। यह श्रद्धा का विषय है। यह पूरी तरह से मां की आराधना का नृत्य है. जिसमें किसी दूसरे मजहब के लोग किसी भी रूप में शामिल नहीं हो सकते.
दरअसल नवरात्र के मौके पर जिस तरह से मुस्लिम युवक अपनी पहचान छिपाकर चोरी-छिपे हमारे गरबा पंडालों में घुसे उसके लिए उन्हें ऐसा सबक सिखाने की जरुरत थी कि वे दोबारा हमारी धार्मिक भावनाओं को आहत करने के बारे सोच भी ना सके. जैसा सबक गुजरात पुलिस ने सिखाया है. गुजरात के खेड़ा जिले में मुस्लिमों की भीड़ ने सोमवार रात एक मंदिर में गरबा कर रहे लोगों पर हमला कर दिया। इस घटना में 7 लोग घायल हो गए। मंगलवार को पुलिस सभी 10 आरोपियों को गांव में लेकर आई और एक-एक कर बिजली के खंभे से बांधकर ग्रामीणों के सामने डंडों से जबरदस्त धुनाई की. उन्हें उसी गरबास्थल पर मारा गया, जहां उन्होंने पथराव किया था।
पुलिस ने जिस तरह से इन लोगों को धोया है उसके बाद इनसे ज्यादा दर्द आरफा खानम और राजदीप सरदेसाई देसाई जैसे वामपंथी पत्रकारों को हो रहा है. क्योंकि इसके बाद इन वामपंथियों का विधवा विलाप सोशल मीडिया पर शुरू हो गया है.
India 2022:
This is Prime Minister Narendra Modi’s home state Gujarat.
The police is beating up in full public view Muslim men who were accused of throwing stones at a Garba event.
The crowd witnessing the flogging is cheering the police action and chanting ‘Bharat Mata Ki Jai’. pic.twitter.com/872qej1g6E— Arfa Khanum Sherwani (@khanumarfa) October 5, 2022
NO, this visual is not from a country with no rule of law but from Kheda in Gujarat: Is local police flogging alleged stone pelters publicly while the crowds cheer acceptable form of justice? Law enforcers can’t take law into their hands or is this new ‘normal’ in a ‘new’ India? pic.twitter.com/fCbcyS2PAi
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) October 6, 2022
लेकिन नेटीजंस ने भी इन वामपंथी पत्रकारों की क्लास लेते हुए इनकी एकतरफा पत्रकारिता को आइना दिखाने का काम किया है.
Mr @sardesairajdeep, your Media Networks are also responsible for the Islamophobic, Communal and Pathetic Situation of the country…
So please stop giving lecture now…— Murtuza Akhter (@akhter_murtuza) October 6, 2022
Haven’t seen your tweet condemning stone pelting on Garba pandals. Kudos to your journalism 👏🏼
— Panthil Desai (@PanthilTweets) October 6, 2022
अगर मैं आपके बहू बेटियों का सर पत्थर से फोड़ दूं, तो क्या आप मुझ पर पुष्प वर्षा करेंगे ?
— Aman Roy sami 🇮🇳 (@AmanRoysami1) October 6, 2022
यूजर्स ये सवाल कर रहे हैं कि आज इन पत्थर फेंकने वालों का दर्द AC स्टूूडियों में बैठने वाले इन वामपंथियों को दिख रहा है उनकी पिटाई के वीडियो शेयर किये जा रहे हैं लेकिन जब इन मुस्लिम युवकों ने हिंदु गरबा पंडालों में पत्थर फेंके तो उस वक्त क्या इन लोगों की जुबान पर ताला पड़ गया था? क्यों उस वक्त इन लोगों ने इसका विरोध नहीं किया? क्यों पत्थर फेंकने वाले वीडियो शेयर नहीं किये? लेकिन जब पुलिस इनकी अच्छे से खबर लेने लगी तो मानो इनके शरीर पर लट्ठ पड़ रही हो.
So why they were Pelting stones on Garba?
Why you haven't shown that video?
Hypocrisy ki bhi seema hoti hai Arfa!
— Gaurav🇮🇳 (@IamGMishra) October 5, 2022
Hello victim leader Arfa, @khanumarfa
Why do you pelt stones on Hindus who perform their festival?
Police should have fired bullets in return of stone pelting.
Teach your people to be civilized and coexist. #Hypocrites #LiberalHypocrisy #LiberalismIsAMentalDisease https://t.co/jgjcYaw7ec
— Dr. Ananta Ojha 🇮🇳 (@OjhaAnanta) October 6, 2022
जाहिर है जिस तरह से सोशल मीडिया पर यूजर्स ने इन वामपंथियों की क्लास लेते हुए इनसे सवाल पूछा है उसका जबाव ना तो मैडम आरफा के पास है ना ही मिस्टर सरदेसाई के पास. होगा भी कैसे कुर्तकों का कोई तर्क होता है क्या?
ये बात मुसलमान क्यों नहीं समझते कि गरबा हिन्दुओं का नृत्य है, जिसमें माता के लिए श्रद्धा ही महत्वपूर्ण होती है, और जो समुदाय माता को मानता ही नहीं है, जो मां की प्रतिमा को बस एक बुत मानता है, वह कैसे गरबा कर सकता है? यही सवाल जब बजरंग दल और VHP जैसे हिंदु संगठन उठाते हैं तो उन्हें ही दोषी ठहरा दिया जाता है, वामपंथी यह बात क्यों नहीं समझते हैं कि हिन्दुओं के भी धार्मिक अधिकार हैं. और किसी की धार्मिक भावनाओं को आहत करने का अधिकार किसी को नहीं है.
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