कोरोना महामारी के सादृश्य ही वेब सीरीज का संक्रमण भी लॉकडाउन के समय भरपूर फैला। वेब सीरीज की कथा कुछ भी हो लेकिन उसमें हिंदुओं देवी, देवताओं और उनके आराध्यों का अपमान करना एक फैशन सा बनता जा रहा है। अभी हाल ही में रिलीज हुई अमेज़न प्राइम की वेब सीरीज तांडव में भगवान श्रीराम और भगवान शिव का अपमान किया गया। ये वेब सीरीज एक ऐसे समय में आई है जब अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बनने के लिए निधि समर्पण अभियान चल रहा है। ऐसे में इस प्रसंग को मज़ाक बनाते हुए ‘तांडव’ में बहुत ही असभ्य ढंग से प्रस्तुत किया गया है। ये हाल किसी एक वेब सीरीज का नहीं है ऐसी बहुत सी वेब सीरीज हैं जो फैशन के तौर पर हिन्दू देवी देवताओं और उनके आराध्यों का अपमान करने से नहीं चुकती हैं। क्या किसी अन्य धर्म के खिलाफ ऐसा होता है? जवाब मिलेगा नहीं। तांडव वेब सीरीज पूरी तरह से प्रोपेगैंडा का अगला कदम मीडिया फ्रेमिंग की तर्ज पर काम करता नजर आता है। वेब सीरीज तांडव को अली अब्बास जफर ने निर्देशित किया है। इस वेब सीरीज में पूरी तरह से हिन्दू धर्म के रिश्ते नातों को भी तार-तार करते दिखाया है जिसमें सैफ अली खान सत्ता पाने के लिए अपने पिता की हत्या कर देता है। तो वहीं मुस्लिम समुदाय को डरा कुचला और शोषित दिखाने का भरपूर प्रयास किया गया है।

आज पूरा विश्व और हिन्दू समाज मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के आदर्शों को उत्कृष्ट मानते हुए उनके भव्य मंदिर निर्माण के लिए प्रगतिशील है। भारत वह देश हैं जहां पिता की आज्ञा पालन के लिए भगवान श्रीराम चौदह वर्ष का वनवास हर्ष के साथ स्वीकार कर लेते हैं तो वहीं जफर जैसे कुछ निर्देशक मुगलों और तुर्कों की सत्ता लोलुपता के लिए पिता की हत्या को हिन्दू समाज के माथे पर आरोपित करने का प्रयास करते नजर आते हैं। हिन्दू समाज में वीर शिवाजी, महारणा प्रताप जैसे प्रतापी वीर हुआ करते हैं जो लालच तो दूर अपनी आन के लिए भी अपनी जान देने से पीछे नहीं हटते।

तांडव वेब सीरीज हिन्दू धर्म के प्रति घृणा भरने का एक कुत्सित प्रयास भर नजर आता है। वेब सीरीज में सवर्ण-दलित, हिन्दू-मुसलमान, क्षेत्रवाद, अर्बन नक्सलवाद जैसे प्रोपेगैंडा को चलाने का प्रयास भी किया गया है। वेब सीरीज में भारत के टुकड़े-टुकड़े करने वाले गैंग का भी महिमा मंडन किया गया है। इसमें पूरी मंशा के साथ आजादी आजादी के नारे लगवाते समय धीरे से मनुवाद और ब्राह्मणवाद से आजादी के नारे भी मंशापूर्ण ढंग से लगवाए जाते हैं। वेब सीरीज के ही एक पात्र ने वामपंथियों की मनगढ़ंत कहानी ‘सदियों से अत्याचार’ को प्रमाणित करने का असफल प्रयास भी किया। पूरी तांडव वेब सीरीज में घृणा का जहर और हिंदुओं के बीच दीवार खींचने का एक प्रयास भर है। तांडव में मोहम्मद जीशान को भगवान शिव का छद्म वेश बनाकर उनको अपमानित करने का काम वेब सीरीज करती हुई दिखाई पड़ती है। वेब सीरीज में प्रधानमंत्री मोदी के नए भारत की संकल्पना को भी मनगढ़ंत कहानियों के दम पर खारिज करने का प्रयास किया गया है।

वर्तमान परिदृश्य और कहानी की पटकथा को देखते हुए इसको रिलीज करने की टाइमिंग पर भी सवाल उठता है। कहानी में मुसलमानों को किसान दिखाया जाता है और ये स्थापित करने का प्रयास किया जाता है कि ये ही हैं जो देश का पेट भरते हैं और इन्हें आतंकवादी कहकर सरकार गोली मार देती है। जबकि अगर आंकड़ों की बात करें तो समुदाय विशेष की किसानी करने वाली आबादी भी देश में न के बराबर है। वेब सीरीज अप्रत्यक्ष रूप से आतंकवादियो के मारे जाने पर भी सवाल खड़े करते हुए एक समुदाय विशेष का बचाव करते हुए नजर आती है।

वेब सीरीज तांडव षड्यंत्र और वैमनस्यता का एक मिश्रण है जिसमें हिन्दू धर्म और उसके मूल्यों को आलोचनात्मक ढंग से प्रस्तुत किया गया है। भारत में लगभग वेब सीरीज हिन्दू धर्म और उनके आराध्यों को निशाना बनाकर बनाई जाती है। इसके निर्मता और निर्देशक का एक बड़ा हिस्सा वामपंथी विचारों को मनाने वाले कथित नास्तिक होते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या एक नास्तिक या कथित सेक्युलर को ये अधिकार प्राप्त है कि वो हिन्दू धर्म को अपमानित करने का कार्य करे? क्या इस तरह की वेब सीरीज पर सरकार को बैन नहीं लगाना चाहिए?

लेखक

अविनाश त्रिपाठी

एम. ए., एम. फिल., पी-एच.डी. शोधार्थी

पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग

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