कुछ मुसल्लों कठमुल्लों के ठेकेदार बने खलीफा कर मौलवी , रोज़ाना जानबूझ कर इस तरह के बयान दे रहे हैं ताकि कल होकर उनकी कौम के गाज़ी लोग उलटबांसी करके न कहें मियाँ आपने जब पूरा मज़हब खतरे में आ रहा था , बुलडोज़रात किया जा रहा था तब आप कम से कम रोज़ाना एक तकरीर और एक फतवा तो जारी कर ही सकते थे।  आप कुछ भी ऊल जलूल बोले जाओ , लड़के बैठे ही हैं हाथों में पत्थर लिए हुए करें भी क्या तो पिछले कुछ सालों में दोनों तरफ से कहर बरपा भी तो है।  एक तो ये चीनी बीमारी और दूसरे ऊपर से सभी गाड़ियों के वो नासपीटे टायर जो अब पंचर ही नहीं होते।  सीधे सीधे लोकतंत्र पर ही डबल अटैक सा हो गया।

तो जनाब तौकीर रज़ा उल मुहम्मद बिन काज़िम हाजी अली जी ने फ़रमाया कि , देख लो -हमारे लौंडे पिछले सत्तर सालों में भी , तब भी जब हमारी खैर चिंता करने वाली कांग्रेस , सपा , बसपा , और जाने कैसे कि कैसे कैसे पा वाले दलों ने राजकाज देखा था।  तब भी वही , पंचर की दुकान , रेहड़ी पटरी , दरजी , नाई , मोची , कारीगर , बस यही सब करते करवाते रहे।  कभी पढ़ाई लिखाई , शऊर ,समझ , तालीम , नौकरी , ओहदे की समझ से कोई सरोकार नहीं रखवाया गया , तो लब्बो लुआब ये कि तब से लेकर सिवाय जनसंख्या के कुछ ख़ास बड़ी तब्दीली हुई नहीं सो अब चूंकि खाली बैठे हैं तो फिर यही सब करेंगे।

तौकीर मियाँ ने चेतावनी देते हुए लगभग कह दिया है कि तैयार हो जाओ , और अपने डर को दूर करने के लिए , शासन ,पुलिस , सरकार , कचहरी , नियम ,क़ानून , समाज सबको ठेंगे पर रखकर पत्थर डंडे से हाँक दो।  बता दो दुनिया को भारत में एक कौम कितनी मज़लूम कितनी मासूम और कितनी शोषित है।

लेकिन तौकीर मियाँ , अब तो दिन लद लिए वे वाले , देखिये भारत की आत्मा सनातन का एक ही मूल मन्त्र है -सहजीवन -जियो और जीनो दो।  नदी से लेकर गाय तक माँ और बरगद पीपल को अपना पूर्वज , क्या पशु क्या पक्षी , वायु अग्नि तक को श्रेष्ठ और शक्ति मान कर उनके साथ सामंजस्य से मनुष्य जीवन का निर्वाह , बस यही है और यही मात्र है।  और स्वयं पृथ्वी इस बात का प्रमाण रही है कि उसने सनातन को शाश्वत अंतिम सत्य के रूप में देखा है अब तक।  बेशक बाद के मगरूर कुछ हैवानी नस्लों से मद में चूर होकर उन्हें भी खंडित और विलोपित करने का प्रयत्न किया अनेकों बार किया मगर मिटा हटा कुछ भी नहीं।  गंगा से लेकर हिमालय तक और तपोवन से लेकर राम सेतु समुद्रम तक -प्रत्यक्ष को प्रमाण ही क्या ???

तो तौकीर मियाँ -ऐसी ही कुछ पाशविक प्रवृत्ति वाले लोगों ने अपने लिए एक अलग भूमि मांग ली और अलग रहने की हनक में बना लिया पाकिस्तान।  हाँ वही ,जिनके पेट में दर्द होते ही तौकीर मियाँ ! आप जैसों को जुलाब लग जाता है तो आपके उस अब्बू पाकिस्तान ने भी पिछले सात दशकों में हज़ारों बार यही कोशिश की है।  यही वाली गीदड़भभकी दी है।

और ये तो आपको अब अंदाज़ा हो ही गया होगा मियाँ जी कि , ये बदलता हुआ नहीं अब बदल चुका नया भारत है।  हमारे ही घर में हमारे ही दीवारों खेतों सड़कों से चुराई हुई ईंट और पत्थर फेंक कर दिखाने वाली बहादुरी के दिन अब लद लिए।  और हाँ मुबारक हो , अपने तम्बू चूल्हे तैयार कर लो , सड़कों पर लोटने के दिन आने वाले हैं , सुना है सरकार -सामान नागरिक संहिता यानि एक देश एक क़ानून लाने जा रही है।  तुम अभी तक कागज़ ही तलाश रहे हो यहां अगले की मुनादी हो गई है मियाँ जी।  सो बरात के रूठे हुए फूफा बनो या गाजी ,

इस देश में रहना है
तो भारत माता की जय कहना है , और डर से नहीं गर्व से कहना है , समझे

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