कांग्रेस संचालित मीडिया  के जरिए  तेजस्वी यादव की सभाओं में आने वाली भीड़ की तस्वीरों को बढ़ा चढ़ा कर पेश किया जा रहा है  अगर हम आपको बताते हैं इस भीड के पीछे की असलियत । बिहार के 18% मुस्लिम और 12% यादव भीड़ लगने के लिए काफी हैं।  बिहार के 18 फ़ीसदी मुसलमानों ने कमर कसी हुई है कि कैसे भी बीजेपी को राज्य से खदेड़ा जा सके।
बिहार के शिक्षा मित्र भी समान वेतन के लालच में काफी मेहनत कर रहे हैं भीड़ जुटाने में… ये अघोषित कार्यकर्ता बने हुए हैं अभी राजद के।
शराब माफिया शराब बंदी हटने के उम्मीद में पूरी गाड़ी भर भर के भेज रहा है लोगों को, लोगों को समझाया जा रहा कि तेजस्वी आएगा तो शराब बंदी हटा देगा। बिहार के 90% ठेके सवर्णों के पास थे इन ठेकों के खत्म होने से सबसे बड़ा नुकसान सवर्णों का हुआ है।
जितनी ग़ाडियाँ आप देख रहे इनमें आधे रेत माफिया की है,  नीतीश ने रेत माफियाओं की हालत खराब कर रखी है, पहले 1 गाड़ी का टैक्स भरता था 100 गाड़ी ऐसे ही निकलती थी। ये साधु यादव का सेट किया सिस्टम था, जिसे नीतीश ने बदल दिया अब शायद ही कोई गाड़ी बिना टैक्स के निकल पाती है। इसलिए कभी अरबों में खेलने वाले बालू ठेकेदार आज तेजस्वी के पीछे पैसा लगा रहे कि सुभाष यादव का सिस्टम वापस लाया जा सके।

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