देश में बरसों से हिंदू प्रतीकों को अपमानित करने की होड़ सी रही है। अक्सर अखबारों और चैनलों पर खास मुहिम के चलते सनातन का उपहास बनाया जाता है। इसी के तहत गौर करने वाली बात ये है कि अक्सर कई अंग्रेजी अखबार हिंदू नफरत के अपने प्रोपेगेंडा के तहत हिंदू बाबा-संत type नामों को बदनाम करने की मुहिम चलाते हैं।
सोशल मीडिया पर कई यूज़र्स अखबार ‘टाइम्स ऑफ इडिंया’ की उस खबर से नाराज हैं जिसमें उसने अप्राकृतिक सेक्स करने के आरोप में आसिफ नूरी नाम के मौलाना पर न्यूज़ प्रकाशित की है और खबर में हिंदू साधु की तस्वीर लगाई हुई है। यानी करतूत करें मौलाना जी और तस्वीर लगे साधू की, ये कहाँ की पत्रकारिता है?
इसके अलावा सूरत की एक खबर का भी जिक्र किया जा रहा है जिसमें 14 वर्षीय लड़की और उसकी मां के शोषण का जिक्र है। खबर के शीर्षक में ‘स्वामी’ नाम लिखा गया है जबकि आरोपी का नाम अकबर अली है।
इस तरह की हिंदू विरोधी सेलेक्टिव पत्रकारिता का विरोध होना शुरू हो गया है और सोशल मीडिया पर अब ये आवाजें उठनी शुरू हो गई हैं।
जनता अख़बार की अंग्रेजी मानसिकता से आंखों में आंखें डालकर सवाल पूछ रही है मगर अंग्रेजी काले कोट के नीचे के अंधेरे में ये सब दोगलेपन के कलमकार छिपे हुए हैं।
इसके अलावा एक चर्च के पादरी के माथे पर तिलक वाली फोटो जानबूझकर अखबार में लगाई गई है ताकि आरोपी पादरी हिंदू दिखे
जाहिर है जनता जब स्वयं जागरूक हो जाएगी तो इन अंग्रेजी कम्युनिस्ट पिट्ठुओं की पीठ पर सवार होकर सवाल पूछेगी कि सिर्फ सनातन धर्म का ही अपमान क्यों? और अब वो समय आ गया है, आप भी जागरूक बनिए।
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