पिछले साल CAA विरोधी दंगे फैलाने वालों की जब एक एक करके कलई खुली और सब जेल की सीखचों के पीछे पहुचंने लगे तो तख्तियां , बैनर , पोस्टर लेकर आजादी -आजादी चीखने वाले और भारत तेरे टुकड़े होंगे वालों को खुद अपने वजूद के टुकड़े होते दिखते हैं .
अब 26 जनवरी गणतंत्र दिवस को कलंकित करने का अपराध करने वालों को अब जब पुलिस ने अपनी जगह दिखानी शुरू की तो इस टूल किट गैंग के लिए छाती पीटने वाले लोग एक बार फिर से अपनी केंचुली उतार कर अपना ज़हर उगलने को तत्पर हो गए हैं .
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से लेकर सार्वजनिक चिट्ठी लिखने वाले और उससे भी अधिक जोड़ तोड़ कर प्राप्त किए “पुरस्कारजीवी “अपने पुरस्कार वापसी के प्रपंच को लेकर सामने आ गए . इनके साथ ही भाजपा सरकार और मोदी शाह से द्वेष रखने वाले पूर्वाग्रह से ग्रस्त एकतरफा खबर ,झूठ और प्रोपेगेंडा फैला कर अपनी दुकान चलाने वाले कुछ समाचार चैनल और वेब पोर्टल भी आचालक से जाग्रत हो उठेंगे . ठीक वैसे ही जैसे गिद्धों के झुंड किसी मृत शरीर दिखने पर लपकता है .
इन्ही तमाम हिंसाजीवी , उपद्रवजीवी ,आन्दोलनजीवी को हाल ही में प्रधानमंत्री ने आईना दिखाते हुए कहा था कि हमेशा राष्ट्र और नियम , कानून के विरुद्ध सोच रखने वालों के जीवन का एकमात्र उद्देश्य और कर्म यही है . इनकी आदत , स्वभाव चरित्र सब कुछ आकंठ नकारात्मकता और प्रतिकूलता से भरा हुआ है .
किंतु ये इन नकली क्रांतिकारियों और परजीवी आन्दोलनजीवियों की बदकिस्मती है कि काठ की हांडी बार बार नहीं चढ़ती और पिछले छ साल में यह सब तमाम खेल तमाशा ,सरकस न सिर्फ देख समझ चुकी है बल्कि अब बुरी तरह से ऊब और उकता भी चुके हैं .
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