जब आप यूपीआई से पेमेंट करते हैं तो महान जादूगर पी सी सरकार आपके एकाउंट से उतनी रकम गायब कर देते हैं और सामने वाले के एकाउंट में उतनी रकम चली जाती है और चूंकि ये सारा काम जादू से हुआ है तो कहीं कोई सर्वर, ऊर्जा, डेटा प्रोसेसिंग, कुछ नहीं होता और उसके पीछे कोई खर्चा भी नहीं होता।
सरकार ने यूपीआई को फ्री रखा है तो उसके पीछे सबसे बड़ा कारण है कि कल को मास्टरकार्ड, वीजा कार्ड, पे पाल आदि रूस की तरह हमको भी खोल के दिखाने ना लगें। पेमेंट्स के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होना बहुत आवश्यक है तो सरकार ने सबको उस माध्यम से जोड़ने के लिए निःशुल्क ये सेवा प्रदान की है।
अब उसके पीछे सरकार इतना पैसा फूँक रही है जो आपको पता भी नहीं चलता है। हमारे दस रूपये का लेन देन और पचास हजार रुपए के लेन देन में कोई विशेष फर्क नहीं है यूपीआइ में, उसका लगभग उतना ही सर्वर रिसोर्स और कम्प्यूटिंग पॉवर लगना है। हमारे हर ट्रांजैक्शन के पीछे सरकार अलग अलग रिसोर्सेज में पैसा लगा रही है।
हम लोगों में एक गंदी आदत है कि यदि कोई सेवा निःशुल्क है तो हम उसके प्रति कृतज्ञ होने के बजाय उसे अपना अधिकार मान कर सेवा प्रदाता को कृतार्थ करने लगते हैं।
सरकार इसको कैसे करेगी पता नहीं पर फ्री में UPI एक बहुत अच्छा मॉडल नहीं है। धीरे धीरे इसके चार्जेज लगेंगे, तरीके डायरेक्ट के बजाय कुछ और हो सकते हैं, कुछ नियम कानून हो सकते हैं कि इतने तक का शुल्क मुक्त है, इससे ऊपर ही लगेगा। ये भी हो सकता है कि सरकार अभी पांच सात साल सब निःशुल्क ही चलने दे, सारी दुनिया में UPI लांच कर दे और फिर मास्टर और वीजा के चार्जेज के सामने एकदम बच्चा सा लगने जैसा अमाउंट चार्ज करे।
अभी UPI निःशुल्क है तो उसके लिए भारत सरकार और National Payments Corporation of India के प्रति कृतज्ञ रहिए। बात बात में डंडा लेकर इनको दौड़ाने मत लगिए। कब तक निःशुल्क रखना है और कब शुल्क लेना है वो ये तय कर लेंगे। हम बस इतनी ही अपेक्षा कर सकते हैं कि एक नियत राशि तक शुल्क न रहे और उससे ऊपर भी न्यूनतम संभव शुल्क लगे।
साभार : Avaneesh Kumar Singh
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