देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा PFI, देश को दंगों की आग में झोंकने का जिम्मेदार PFI, भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने का सपना देखने वाले PFI पर आखिरकार केंद्र की मोदी सरकार ने PFI पर बैन लगा ही दिया. हाल के दिनों में जिस तरह से सुरक्षा एजेंसिंया इस इस्लामिक चरमपंथी संगठन PFI पर कार्रवाई कर रही थी उससे ये लग रहा था कि सरकार PFI को लेकर की बड़ा फैसला जल्द ही ले सकती है.
लेकिन इस बीच जहां देश विरोधी और आतंकी गतिविधियों में शामिल PFI को बैन किये जाने का देश भर में स्वागत हो रहा है तो वहीं इस मुद्दे पर देश के कुछ नेता अपनी राजनीति चमकाने में लगे हुए हैं. दरअसल बुधवार को 12वीं बार RJD के अध्यक्ष बने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव ने ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ (RSS) पर प्रतिबंध लगाने की ही मांग कर डाली. लालू यादव ने RSS पर हिन्दू-मुस्लिम कर के देश तोड़ने का आरोप लगाते हुए कहा कि PFI की तरह इसे भी बैन कर दिया जाना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि पहले भी 2 बार RSS पर बैन लग चुका है और ये PFI से भी बदतर संगठन है.
PFI की तरह जितने भी नफ़रत और द्वेष फैलाने वाले संगठन हैं सभी पर प्रतिबंध लगाना चाहिए जिसमें RSS भी शामिल है। सबसे पहले RSS को बैन करिए, ये उससे भी बदतर संगठन है।
आरएसएस पर दो बार पहले भी बैन लग चुका है। सनद रहे, सबसे पहले RSS पर प्रतिबंध लौह पुरुष सरदार पटेल ने लगाया था।
— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) September 28, 2022
वहीं PFI के बैन होने पर AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि कुछ लोगों की करतूतों के लिए पूरे संगठन को बैन नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि इस कठोर प्रतिबंध का अर्थ है हर उस मुस्लिम को प्रतिबंधित कर देना, जो अपने मन की बोलना चाहता हो। ओवैसी ने दावा किया कि भारत की निरंकुश सत्ता जिस तरह से फासीवाद को अपना रही है, ‘काला कानून’ UAPA के तहत भारत के हर मुस्लिम युवक को PFI के पैम्पलेट के साथ गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
AIMIM Chief, Asaduddin Owaisi says "PFI ban cannot be supported," also adds, "Actions of some individuals who commit a crime does not mean that the organisation itself must be banned" pic.twitter.com/218wc81njN
— ANI (@ANI) September 28, 2022
कांग्रेस के सांसद तो कुछ ज्यादा ही आगे निकल गये. केरल से कांग्रेस सांसद के सुरेश ने कहा कि “RSS पर भी PFI की तरह बैन लगना चाहिए, क्योंकि दोनों संगठनों का काम तो एक जैसा है”.
Kerala | We demand for RSS also to get banned. #PFIban is not a remedy, RSS is also spreading Hindu communalism throughout the country. Both RSS & PFI are equal, so govt should ban both. Why only PFI?: Kodikunnil Suresh, Congress MP & Lok Sabha Chief Whip, in Malappuram pic.twitter.com/nzCVTImWw4
— ANI (@ANI) September 28, 2022
अब सवाल ये कि जिस तरह से विपक्षी दल के नेता PFI के बैन होन पर बयान दे रहे हैं क्या इससे PFI को बढ़ावा नहीं मिल रहा? आखिर PFI के बैन होने पर विपक्षी दलों के नेताओं के पेट में क्यों दर्द हो रहा है. एक ऐसा संगठन जिसकी संलिप्तता देश भर में हुए दंगों में पायी गई. CAA के खिलाफ देश भर में हुए दंगों में PFI की भूमिका के सामने आई, दिल्ली और यूपी में हुए दंगों में जिसकी भूमिका पायी गई, और तो और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पटना रैली पर जिसने हमले की साजिश रची थी उसके लिए इनके दिल में इतनी हमदर्दी क्यों?
क्या विपक्षी दलों के नेताओं के लिए देश की आंतरिक सुरक्षा मायने नहीं रखती, क्या विपक्षी दल देश में शांति-व्यवस्था कायम नहीं करना चाहते? आखिर ऐसा संगठन जिसका मकसद भारत को पूरी तरह से इस्लामिक राष्ट्र बनाने का था उसका समर्थन क्यों?
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