आप सभी इस बात से बखूबी वाकिफ हैं कि भारत में मुगलों का इतिहास बाबर के 1526 में आने के साथ आरंभ हुआ था, लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि आज भी उसके वंशज भारत में रह रहे ते हैं। इतना ही नहीं अब जो बात हम आपको बताने जा रहे हैं यकीनन वो सुन कर आप कुछ देर के लिए सन्न रह जाएंगे. जी हां बाबर के वंशज सिर्फ भारत में रह ही नहीं रहे , बल्कि सरकार की तरफ से मिलने वाले पेंशन का लाभ भी उठा रहे हैं।
दरअसल, भारत में लिबरल ब्रिगेड मुगलों के गुणगान से पीछे नहीं हटती, उनके अत्याचारों पर हमेशा पर्दा डाल कर उन्हें हीरो के रूप में पेश करने की इनकी कोशिश रहती है. कभी उनके द्वारा बनाए गए महलों का गुणगान किया जाता है, तो कभी उनके समय में भारत की हुई समृद्धि गिनाई जाती है, तो कभी मुग़लों के वंशजों को ढाल बना कर उनके विरासत के सम्मान की बात कही जाती है। मुगलों के यह वंशज रहते तो झुग्गियों में हैं, लेकिन इनके चाहने वालों ने इनके लिए YouTube चैनलों पर कई वीडियोंज डाल रखे हैं. जिससे ये भारत की विरासत पर अपना दावा करते हैं।
ये दरअसल एक YouTube चैनल का स्क्रीनशॉट है जिसे 2019 में बनाया गया था। इस चैनल के जरिये लगातार सहानुभूति का माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है कि सुल्ताना बेगम भारत की महारानी थी, जो अब झोपड़ियों में रहती है और सरकार को इनके लिए कुछ करना चाहिए। यानी उन मुगलों के नाम पर सहानुभूति बटोरी जा रही है, जिनके शासन में हिंदुओं को जीवित रहने के लिए भी टैक्स भरना पड़ता था।
अंतिम मुगल सम्राट, बहादुर शाह जफर के प्रत्यक्ष वंशजों में से एक सुल्ताना बेगम कोलकाता की एक झुग्गी में रहती हैं जो हर महीने 6000 रुपये पेंशन का लाभ उठाती हैं। सुल्ताना बेगम की शादी बहादुर शाह जफर के परपोते मिर्जा बेदार बख्त से हुई थी, जिनकी 1980 में कोलकाता में मृत्यु हो गई थी। अब परिवार चाहता है कि सुल्ताना को दी जाने वाली पेंशन को बढ़ाया जाए।
साल 2004 में एनडीए सरकार में रहते हुए ममता बनर्जी ने बहादुर शाह जफर के वंशजों से मुलाकात की थी। वो मदद के प्रतीक के रूप में 50,000 रुपये के चेक के साथ अंतिम मुगल बादशाह के परिवार से मिलने गई थी। यहां तक कि उन्हें एक अपार्टमेंट भी दिया था। जब ममता बनर्जी ने रेल मंत्री नी तो सुलताना बेगम ने मौके का फायदा उठाया और ममता को पत्र लिखकर परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने का वादा याद दिलाया। तब ममता बनर्जी ने सुल्ताना की पोती रोशन आरा को टिकियापारा में रेलवे के कोच यार्ड में ग्रुप-डी की नौकरी भी दिलवाई थी। जिन्हें 15000 रुपये वेतन भी मिलता है।
बहादुर शाह जफर की परपोती, रौनक जमानी बेगम और उनकी बहन जीनत महल शेख अपने बेटों के साथ नवी मुंबई में बेगम के एक कमरे के घर में रहती हैं। इन्होंने साल 2007 में दावा किया था कि लाल किला इनका है। उनका कहना है कि “हम लाल किले के लिए मुकदमा लड़ने के लिए एक वकील की पहचान कर रहे हैं और इस साल के भीतर अदालत में याचिका दायर करेंगे।
अब सवाल यह कि सरकार इनकी मदद क्यों करे? क्या भारत पर इनका कोई एहसान है? अगर मध्यकालीन मुगलों ने भारत में इमारतों का निर्माण किया भी, तो सिर्फ अपने रहने के लिए किया था, वह भी भारत के संसाधन से और हिंदुओं के खून से। गनीमत है कि सरकार ने इन लोगों का पेंशन बंद नहीं किया है. भारत पर इतने सालों तक अत्याचार करने वालों का बोझ आज भी सरकार उठा रही है ।
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