मोदी विरोध है ये , या भाजपा के प्रति कुण्ठा , बार बार जनता द्वारा नकारने जाने की खीज़ है या सच में ही आपका चरित्र ही यही है। आज सचिन तेंदुलकर , लता मंगेशकर , जैसी शख्शियतों को बेहिचक बेझिझक अपने देश के लिए भारत के लिए आगे आकर कहना पड़ा कि , दूसरों के खैरात के पैसों से भारत के लिए साजिश का जाल बुनने वालों को भारत से दूर ही रहना चाहिए।

चलिए , विरोध करना और इस विरोध के बहाने खुद चर्चा में आना तो आजकल कईयों के लिए अपने अस्त्तिव को बचाए रखने के एकमात्र उपाय के रूप में अपनाया हुआ है। ऐसे में फिर सभ्यता और तहज़ीब (जो किसान के नाम पर एकत्रित हुई अराजक भीड़ ने पिछले दिनों दिखाई थी ) को संभाले आंदोलनकारी हाहाकरी को क्यूँकर नहीं यौन कर्मी मियाँ खलीफा , गायिका रेहाना , आदि जैसे तमाम जैसे अचानक से इतने सगे लगने लगेंगे कि देश के लिए अपना सब कुछ और सर्वश्रेष्ठ देने वाली सच्ची संतानों का अपमान तक करने में गुरेज नहीं करेंगे।

अब ये देखिये , इस पार्टी को ,जिसके पास पाने के लिए भी सिर्फ राहुल गाँधी है और खोने के लिए भी। मानिसक रूप से इतने दिवालिये हो गए कि देश ही नहीं विश्व गौरव का स्थान रखने वाले खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर के कटआउट पर अपने अंदर की कालिख उड़ेलने की कोशिस करते देखे गए। जाने ये सब करके ये लोग अपने घरों में शीशों में अपना मुँह देखर क्या महसूस करते होंगे ??

एक इनको देखिये , राज्य में एक के बाद एक आपराधिक घटनाएं घट रही हैं , साधु से लेकर सैनिक तक की ह्त्या की जा रही है और तो और क्रिकेट का सी भी नहीं जानने के बावजूद क्रिकेट संघ प्रमुख बनकर एक बड़े समय तक फ्री में सारे क्रिकेट मैच देखने का लुत्फ़ उठाए हुए विशेषज्ञ जी बताएँगे कि सचिन को आउट ऑफ़ सिलेबस नहीं बोलने का। नई तो कंगना , अर्नब ,सोनू सूद -नोटिस छाप रखा है एकदम टनाटन। बस नाम भरा काम शुरू।

क्या ये सब विरोधी लोग अपने अपने घरों में जाकर यह बात बता सकेंगे कि आज उनके आंदोलन के लिए समर्थन में दूसरे देशों से लोग करोड़ों रूपए लेकर उनकी फोटो ट्वीट करके चिंता दिखा रहे हैं।

और क्या वे ये बता सकेंगे कि इनमें से कोई भी परोक्ष प्रत्यक्ष रूप से कृषि , किसान , कानून से लेशमात्र भी जुड़ा हुआ है परिचित भी है।

चलिए कम से कम , जैसे नाम लेकर लेकर सचिन , लता , अजय ,अक्षय का अपमान किया जा रहा है वैसे ही समर्थन में मियाँ खलीफा के नीले चलचित्र और रेहाना के सारे समझ में आ जाने वाले गाने लेकर घर परिवार से भी आंदोलन के प्रति समर्थन जुटाना अपेक्षित है।

हद है , यानि कुछ भी , कैसे भी। सरकार मान भी गई सारी शर्तें तो भी आंदोलन ख़त्म नहीं होगा -है न। क्यूंकि आंदोलन की आड़ में बहुत गहरी साजिश रची जा रही है भारत के विरूद्ध। भारतीयों के विरूद्ध।

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