सभी राज्यों के उपचुनावों में कांग्रेस का ढुलमुल प्रदर्शन, उप्र में सातों सीटों पर कांग्रेस की जमानत जप्त को देखकर लगता है, औवेसी ने नपुंसक राजनीतिक नेतृत्व जिम्मेवार की टिप्पणी बहुत सोच समझकर की है! बिहार के शुरुआती रुझानों में एनडीए की सीटें कम होती देखकर सुरजेवाला (कांग्रेस) और रबिश कुमार (गिरगिटिया पत्रकार) महागठबंधन को मिली बढ़त से जंगलराज के पुरानों दिनों को दोहराने एवं भृष्ट तंत्र के माध्यम से अकूत धन कमाने का सपना देखने लगे। माहौल बदलता देख, भृष्ट आचरण के लिए कुख्यात दल ने ईवीएम का विधवा विलाप शुरू कर दिया तो जंगलराज गैंग के चहेते गिरगिटिया पत्रकार महोदय के चेहरे की रंगत फीकी पड़ गई! शुरुआत में रबिश कुमार एनडीए की हार के कारण गिनाते हुए नीतीश को भी भाजपा से गठबंधन के लिए कोस रहे थे। लेकिन रुझान बदलते ही रबिश कुमार दबे मन से उन कारणों को खोजने लगे जिनके कारण एनडीए विशेष रूप से भाजपा को फायदा होने लगा। लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के बीच गिरगिट की तरह रंग बदलने वाले पत्रकार रबिश कुमार के विलाप, कुतर्क, निजी कुंठा और निरर्थक आधारों पर किए गए विरोध को देखकर उनकी गिरगिटनुमा समझ पर तरस आती है!
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